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जमीन की रसीद नहीं कटने से फसल बीमा नहीं करा पा रहे जिले के किसान

लातेहार : लातेहार जिले में कई ऑनलाइन सेवाएं बाधित हो गयी हैं. इस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी और बराबर लिंक फेल रहने की शिकायतों से लातेहार जिला में करोड़ों रुपये की जमीन बिक्री एवं सरकारी राजस्व संग्रहण का काम ठप पड़ा है. भूमि स्वामित्व प्रमाण […]

लातेहार : लातेहार जिले में कई ऑनलाइन सेवाएं बाधित हो गयी हैं. इस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी और बराबर लिंक फेल रहने की शिकायतों से लातेहार जिला में करोड़ों रुपये की जमीन बिक्री एवं सरकारी राजस्व संग्रहण का काम ठप पड़ा है. भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र एवं करेंट रसीद के अभाव में लगभग चार दर्जन दस्तावेज निबंधन के लिए रजिस्ट्रार के दफ्तर में पड़े हुए हैं. कैंसर से पीड़ित राजेश्वर प्रसाद गुप्ता ने जमीन बेच कर इलाज कराने की योजना बनायी थी, लेकिन रसीद नहीं कटने से उनकी जमीन का निबंधन नहीं हो पा रहा है.
जिले में ऑफलाइन भूमि का लगान कटना बंद हो गया है और सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी या पंजी दो का विवरण नहीं चढ़ने के कारण ऑनलाइन रसीद नहीं कट पा रही है. भूमि निबंधन के लिए करेंट रसीद आवश्यक है. जिले में 9862 रैयतों की ऑनलाइन रसीद नहीं कट पा रही है. इसके कारण हजारों किसान फसल बीमा नहीं करा पा रहे हैं और न तो उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि फसल बीमा कराने जब जा रहे हैं तो एजेंटों एवं लैंपस द्वारा चालू सत्र का लगान रसीद की मांग की जा रही है. लेकिन रसीद नहीं कट पा रही है.
राजस्व कर्मचारी कृष्णा राम का कहना है कि ऑनलाइन रसीद सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण नहीं कट पा रही है. ऑनलाइन म्यूटेशन भी यहां नहीं हो पा रहा है. कई अंचलों में तो ऑनलाइन सिस्टम ही चालू नहीं हो पाया है जिला मुख्यालय स्थित अचंल में ऑनलाइन म्यूटेशन के सभी आवेदन लंबित हैं. वहीं आरएस खतियान से रसीद काटने का आवेदन करने वाले एटलस एग्रो फॉरेस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक चंद्र भूषण सिन्हा का कहना है कि उन्होंने लातेहार अंचल में 26 दिसंबर 2016 को आवेदन दिया है लेकिन आठ माह बीत जाने के बाद भी उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ऑनलाइन व ऑफलाइन के चक्कर में उनका आवेदन ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
नेट धीमा होने से कामकाज प्रभावित
जाति,आय एवं आवासीय प्रमाण पत्रों का बनना भी प्रभावित है. ऑफलाइन बनाने पर 2016 से ही रोक लगा दी गयी है. ऑनलाइन सिस्टम की गति इतनी धीमी है कि कई आवेदक कहीं अपना आवेदन भी नहीं कर पा रहे हैं. अनुमंडल कार्यालय में विभिन्न प्रमाण पत्रों के तीन हजार आवेदन लंबित हैं. सिस्टम अधिकारियों का कहना है कि कहीं राजस्व कर्मचारी तो कहीं अंचल निरीक्षक तो कहीं अंचल पदाधिकारी के लॉग में ये प्रमाण पत्र फंसे हुए हैं. नेट इतना धीमा है कि एक दिन में 50-60 दस्तावेजों पर ही काम हो पा रहा है. जिले के सैकड़ों छात्र छात्रवृत्ति का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. नौकरी में प्रमाण पत्र जमा करने वालों को और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
एलआइसी धारक भी हैं परेशान
बीएसएनएल पिछले एक पखवाड़ा से लगातार फेल है, जिसके कारण एलआइसी कार्यालय में न तो प्रीमियम जमा हो पा रहा है और न ही अन्य कोई भुगतान हो पा रहा है. कई ऐसी बीमा धारक हैं जिनका प्रीमियम जमा नहीं होने के कारण उनका बीमा फेल हो जा रहा है. प्रीमियम जमा करने के लिए बीमा धारक कार्यालय का कई बार चक्कर लगा रहे हैं. बीएसएनल के अधिकारी या प्रशासनिक पदाधिकारी इस ओर बेखबर हैं .

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