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शीतलहरी से आलू की फसल को हो सकता है झुलसा व कुकरी रोग

इस वर्ष आलू की बेहतर पैदावार की उम्मीद है. इस वर्ष बारिश के कारण किसानों ने कुछ देर से आलू रोपा है.

जयनगर. इस वर्ष आलू की बेहतर पैदावार की उम्मीद है. इस वर्ष बारिश के कारण किसानों ने कुछ देर से आलू रोपा है. हालांकि बड़े पैमाने पर आलू की खेती हो रही है. ठंड और शीतलहर के प्रकोप के कारण आलू की फसल को झुलसा और कुकरी रोग लग सकता है. इससे फसल को नुकसान हो सकता है. हालांकि नियमित अंतराल पर सिंचाई से फसल को इन रोगों से बचाया जा सकता है. कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के एग्रोफोरेस्टी ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि फसल की कीटों से सुरक्षा के लिए रोकने के समय ही फोरेट-10 जी या क्लोरो पायरिफास-10 किलो ग्राम हेक्टेयर की दर से उर्वरकों के साथ मिलाकर छिड़काव करें. झुलसा रोग का पत्तियों के किनारे प्रभाव पड़ता है. इसकी रोकथाम के लिए डायथेन एम-45 या डायथेन जेड-78 या रिडोमिल एमजेड को दो से 2.5 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर पतियों को ऊपर से नीचे तर दें. श्री कुमार ने बताया कि आलू रोपनी के 40 से 55 दिन बाद प्रत्येक पंक्तियां में घूम कर फसल की देखभाल करें, यदि आलू का कंद दिखाई पड़े तो उसे मिट्टी से ढक दें, नहीं तो उसका रंग हरा हो जायेगा. बुआई के पहले कंद का उपचार मैकोजेब के 0.25 प्रतिशत अथवा ट्राइकोडर्मा पावर 10 ग्राम एक लीटर पानी से करना चाहिये. खेत में संतुलित उर्वरक का प्रयोग करना चाहिये. आलू की फसल के पास तंबाकू, टमाटर, मिर्च, बैगन आदि की फसल नहीं लगना चाहिये.

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