जयनगर. मूंगफली को खरीफ की तेलहनी फसल माना जाता है. कोडरमा की मिट्टी व जलवायु मूंगफली की खेती के उपयुक्त है. ऐसे में किसान मूंगफली की खेती अपनी आय बढ़ा सकते हैं. किसान मूंगफली की खेती करने लगे हैं. यह वर्षा आधारित खेती है इसमें पटवन का झमेला नहीं है. इसके लिए हल्की ब्लुही और दोमट मिट्टी तथा जल निकास की सुविधा जरूरी है. कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के एग्रोफोरेस्टी ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि मूंगफली की खेती के लिए 3-4 जुताई 10-15 सेंटीमीटर गहराई हल से करना चाहिये. जुताई के बाद पटा भी लगायें. बीज के उन्नत किस्म में बिरसा मूंगफली वन, बीजी टू, बीज थ्री लगाये. इससे 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज होती है. उन्होंने बताया कि अंतिम जुताई के बाद पटा जरूर चलाये. इसकी बुआई जुलाई के प्रथम सप्ताह से अगस्त के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है. बुआई के 115-120 दिन बाद यह फसल पक कर तैयार हो जाती है. बुआई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा पौधों से पौधों की दूरी 15 सेंटीमीटर हो. बुआई के बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए दो दिनों तक टोका-ई 25 नामक दवा 4 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. बुआई के 10 दिन पहले कंपोस्ट व गोबर की खाद 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. बुआई के समय यूरिया सिंगल सुपर फास्फेट तथा 35 किलो म्यूरित ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करें.
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