प्रतिनिधि, जामताड़ा. हाषा-भाषा जीतकार मांहा मातृभूमि (संताल परगना) विजय दिवस रघुनाथपुर गांव में मनाया गया. यह आदिवासी सेंगेल अभियान और ऑल इंडिया संताली एजुकेशन काउंसिल के सयुंक्त तत्वावधान में मनाया गया. इस अवसर पर सिदो मुर्मू और सालखन मुर्मू की तस्वीर पर पुष्प अर्पण किया गया. आदिवासी सेंगेल अभियान के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल सोरेन ने कहा कि 22 दिसंबर संताल जनमानस के लिए पवित्र दिन है. सिदो मुर्मू के नेतृत्व में हूल के कारण 22 दिसंबर 1855 को संताल परगना दिसोम और मातृभूमि मिला. सालखन मुर्मू पारसी जीतकारिया के नेतृत्व में आंदोलन कर संताली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया. मगर दुर्भाग्य यह है कि अबुआ झारखंड में संताली भाषा को अभी तक राजभाषा का दर्जा नहीं दिया गया. झारखंड में संताली भाषा का विकास जिस प्रकार से होना चाहिए था वह नहीं हुआ. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की कि संताली भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया जाय. स्कूल स्तर पर संताली भाषा में पठन-पाठन के साथ-साथ कार्यालय, न्यायालय में भी हिंदी की तहत जल्दी शुरू की जाय. मौके पर संजीत सोरेन, राजेश बेसरा, कमल मरांडी, लालदेव हेंब्रम, सावित्री मुर्मू, सिमोली मरांडी, अनिता मरांडी, संतोष मरांडी सहित अन्य मौजूद थे.
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