आक्रोश. आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से कार्यशाला आयोजित
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सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का किया विरोध
आक्रोश. आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से कार्यशाला आयोजित जामताड़ा : आदिवासी बुद्धिजीवी मंच द्वारा एक दिवसीय कार्यशला का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जिला परिषद अध्यक्ष दीपिका बेसरा उपस्थित थे. कार्यशाला में दौरान मुख्य रूप से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में हुए संशोधन का विरोध किया गया. इस संशोधन से आदिवासियों की […]
जामताड़ा : आदिवासी बुद्धिजीवी मंच द्वारा एक दिवसीय कार्यशला का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जिला परिषद अध्यक्ष दीपिका बेसरा उपस्थित थे. कार्यशाला में दौरान मुख्य रूप से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में हुए संशोधन का विरोध किया गया. इस संशोधन से आदिवासियों की पहचान एवं अस्तित्व मिट जायेगा. एसपीटी-सीएनटी एक्ट आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा करने वाला कानून है. आदिवासियों के विकास में वर्तमान एक्ट किसी प्रकार से बाधा नहीं है.
झारखंड की जनता को इन शक्ति के विरोध में एकजुट होना है. इस संशोधन सें पूंजीपति परस्त लोग जो जमीन को भी उत्पादन एवं मुनाफा के एक साधन के रूप में देखते हैं. दूसरे जो बाहर से आकर झारखंड में अवैध रुप से जमीन कब्जा कर रहे हैं. तीसरा वे जो नवधनाढय वर्ग से आते हैं तथा अपनी कमाई को जमीन के रूप में बदलना चाहते हैं के लिए बनाया गया है. यह तीनों प्रकार के लोग आदिवासी-मूलवासी के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक हितों के विपरीत है. इस संशोधन से आदिवासी-मूलवासी को किसी प्रकार का लाभ नहीं होगा, बल्कि उल्टा नुकसान होगा. मौके पर बुद्धिजीवी धनबाद से टॉर्च हांसदा, गिरिडीह से गबरियल मरांडी, देवघर जिला परिषद सदस्य अनिमा सोरेन, पुष्पा सोरेन, निर्मल सोरेन, सुखेन्द्र टुडू, सर्जन हांसदा सहित अन्य मौजूद थे.
सदस्यों ने कहा: संशोधन से आदिवासियों के अस्तित्व पर संकट
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