Jamshedpur news.
आदिवासी स्वशासन व्यवस्था माझी परगना महाल धाड़ दिशोम की शुक्रवार को देश परगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में घाटशिला पावड़ा में हुई. बैठक में माझी परगना महाल ने कुड़मी समाज द्वारा आदिवासी सूची में शामिल कराने की मांग का पुरजोर विरोध किया. देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि कुड़मी (महतो) समाज का आदिवासी समाज के रीति-रिवाजों से दूर-दूर तक संबंध नहीं है. कुड़मी समाज का पारंपरिक रीति-रिवाज, पूजा पद्धति, सांस्कृतिक व धार्मिक गतिविधि और व्यवहार आदिवासियों से बिलकुल मेल नहीं है. कुड़मी समाज खुद को शिवाजी का वंशज होने का दावा करते हैं, लेकिन वर्तमान समय में लाभ लेने के लिए आदिवासी बनना चाहते हैं, इसलिए कुड़मी समाज को आदिवासी की सूची में बिलकुल शामिल नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज का आदिवासियों के जल जंगल जमीन और समेत संवैधानिक अधिकार, शैक्षणिक, राजनीतिक एवं अन्य क्षेत्रों में आरक्षण पर गिद्ध नजर बनाये हुए हैं. आदिवासी समाज उनके इरादों को कभी सफल नहीं होने देगा. इसके लिए आदिवासी समाज सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठायेंगे. जरूरत पड़ी, तो कोर्ट का दरवाजा भी खटखटायेंगे. मौके पर तोरोप परगना बाबा हरिपोदो मुर्मू, देश पारानिक बाबा दुर्गा चरण मुर्मू, बिरेन टुडू, सुनील मुर्मू, लखन मार्डी समेत समाज के बुद्धिजीवी व शिक्षाविद आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

