Jamshedpur news.
केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी में लोगों को राहत दी गयी है. यह सराहनीय कदम है. लेकिन इस कदम से झारखंड जैसे मैनुफैक्चरिंग स्टेट को 1800 से 2000 करोड़ रुपये का हर साल नुकसान होगा. इसे लेकर केंद्र सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए. यह बातें झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कही. श्री किशोर जमशेदपुर सर्किट हाऊस में जिले के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी समेत अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ मीटिंग भी की और कांग्रेस के जिला के प्रभारी के तौर पर नेताओं से भी मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान उन्होंने यहां कांग्रेस की मौजूदा हालात की जानकारी भी ली. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में बताया गया था कि जीएसटी में जो करो में संशोधन कर रहे हैं, उससे निम्न और मध्यम वर्ग को लाभ होगा. पनीर और पराठा पर जीएसटी नहीं लगेगा. इस पर हमने कहा था कि हमारे झारखंड के लोग महुआ और मढुआ, मकई खाते हैं. उनको क्या फायदा मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस मीटिंग में कहा गया था कि जीएसटी के रेट का रेसनलाइजेशन होगा. इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि उसी बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री से हमने पूछा कि यह जीएसटी 2017 में लागू किया गया. 2025 में इतना संशोधन लागू हो रहा है. क्या जब लागू हुआ था, तब वह अविवेकपूर्ण फैसला था, यह बदलाव बेहतर है. इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया था.उन्होंने कहा कि जीएसटी से लोगों को लाभ होगा, लेकिन झारखंड को सीधे तौर पर 1800 से 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को हमने बताया है कि झारखंड में स्टील और कोयला का पूरे देश का 70 फीसदी उत्पादन होता है, लेकिन यह सारे उत्पाद को दूसरे राज्यों में भेजा जाता है. यह उत्पादन करने वाला राज्य है, जहां जीएसटी का लाभ नहीं मिलेगा. जहां कंज्यूम (खपत) होगा, वहां जीएसटी का लाभ होगा. ऐसे में केंद्र सरकार को झारखंड को अतिरिक्त पैकेज दिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि यह हालात हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों का भी है, जिस पर केंद्र सरकार को गंभीरता से विचार कर फैसला लेना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

