Jamshedpur news.
टाटा स्टील कलिंगानगर ने अपने कोल्ड रोलिंग मिल परिसर में स्थापित नयी अत्याधुनिक कंटीन्यूअस गैल्वनाइजिंग लाइन (सीजीएल-1) से पहले गैल्वनाइज्ड कॉइल्स के बैच का सफलतापूर्वक डिस्पैच किया है. इस बैच को टाटा स्टील कलिंगानगर के जीएम ऑपरेशंस करमवीर सिंह द्वारा झंडी दिखाकर रवाना किया गया. इस अवसर पर टाटा स्टील कलिंगानगर यूनियन के अध्यक्ष रवींद्र कुमार जामुदा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. यह उपलब्धि टाटा स्टील की उत्पादन क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती है, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल और घरेलू उपकरण (अप्लायंसेज) क्षेत्रों की बढ़ती मांगों को ध्यान में रखते हुए नयी और उन्नत कंटीन्यूअस गैल्वनाइजिंग लाइन (सीजीएल) तकनीक में तीसरी पीढ़ी की एयर-नाइफ के साथ मैग्नेटिक स्टेबलाइजर, ऑक्सिडेशन चेंम्बर, और श्रेष्ठतम सेकेंडरी कोटिंग्स जैसी अत्याधुनिक विशेषताएं शामिल हैं. इन तकनीकों की मदद से उच्च गुणवत्ता वाले ऑटोमोटिव स्टील का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें कोटेड एडवांस्ड हाई स्ट्रेंथ स्टील्स (एएचएसएस) भी शामिल हैं.टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट मार्केटिंग व सेल्स फ्लैट प्रोडक्ट प्रभात कुमार ने कहा कि कलिंगानगर में स्थापित नयी कंटीन्यूअस गैल्वनाइजिंग लाइन (सीजीएल-1) को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह एडवांस्ड कोटेड उत्पादों का उत्पादन कर सके, जिनमें उत्कृष्ट सतह फिनिश, बेहतर फॉर्मेबिलिटी और उच्च स्तर की संक्षरण प्रतिरोधक क्षमता हो. यह प्लांट विशेष रूप से ऑटोमोबाइल और अप्लायंसेज सेक्टर की कड़ी गुणवत्ता आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. यह अत्याधुनिक लाइन एक दूरदर्शी सोच के साथ विकसित की गयी है, जिसे खासतौर पर हमारे ग्राहकों की बदलती अपेक्षाओं और उन्नत जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. इसमें न केवल अत्याधुनिक तकनीक को अपनाया गया है, बल्कि सतत और पर्यावरण अनुकूल अभ्यासों को भी इसके संचालन का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है. यह सुविधा टाटा स्टील की इस प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करती है कि वह भविष्य की मोबिलिटी के लिए एक विश्वसनीय, नवाचारी और दीर्घकालिक साझेदार बनी रहे. पिछले वर्ष, टाटा स्टील ने ओडिशा के कलिंगानगर में भारत का अब तक का सबसे बड़ा ब्लास्ट फर्नेस सफलतापूर्वक चालू किया था. करीब 27,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, कलिंगानगर में फेज II विस्तारीकरण ने प्लांट की कुल उत्पादन क्षमता को 3 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 8 मिलियन टन प्रति वर्ष तक पहुंचा दिया है.
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