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दलमा में दस साल में सिर्फ एक शिकार!

वन विभाग ने भेजी है सरकार को कागजी रिपोर्ट जमशेदपुर : दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में विशु सेंदरा शिकार पर्व हर साल मनाया जाता है. लेकिन, वन विभाग का दावा है कि पिछले दस साल में सिर्फ एक ही जानवर का शिकार हुआ है. यह रिपोर्ट दलमा वन्य प्राणी अाश्रयणी ने राज्य सरकार को भेजी […]

वन विभाग ने भेजी है सरकार को कागजी रिपोर्ट

जमशेदपुर : दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में विशु सेंदरा शिकार पर्व हर साल मनाया जाता है. लेकिन, वन विभाग का दावा है कि पिछले दस साल में सिर्फ एक ही जानवर का शिकार हुआ है. यह रिपोर्ट दलमा वन्य प्राणी अाश्रयणी ने राज्य सरकार को भेजी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2007-08 के विशु शिकार पर्व के बाद से लेकर 2014-15 तक कोई शिकार नहीं हुआ है. सिर्फ 2009-10 में एक कोटरा (हिरण की प्रजाति) का ही शिकार हुआ है. उससे पहले 2005-06 और 2006-07 में शिकार की बात वन विभाग ने की है.
हर साल हुआ है दलमा में शिकार. दलमा में वन्य प्राणियों का शिकार हर साल हुआ है. हर साल जानवरों के शिकार संबंधी तसवीरें भी अखबारों में प्रकाशित की गयी हैं. जिसकी कभी ना तो वन विभाग की ओर से पड़ताल की गयी और ना ही राज्य सरकार की ओर से. अखबार में छपी तसवीरों को पुरानी तसवीरों का हवाला दे वन विभाग अपना पल्ला झाड़ लेता है. तमाम प्रयासों के बाद भी शिकारी लोहे के जाल और विस्फोटकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस वर्ष भी सेंदरा समिति को बिना हथियार लिये पर्व मनाने पर अब तक वन विभाग राजी नहीं कर पाया है. कागजी रिपोर्ट के जरिये विभाग सरकार को भरमा रहा है.
क्या है वन विभाग का दावे और आंकड़े
À 2005-2006 : कोटरा (4) जंगली भालू (3), बुलबुल (2), मैना (1), À2006-2007 : कोटरा (1), भालु (1), जंगली गिलहरी (2), À 2007-2008 : एक भी शिकार नहीं, À2008-2009 : एक भी शिकार नहीं À 2009-2010 : एक कोटरा का शिकार
À 2010-2011 : एक भी शिकार नहीं À 2011-2012 : एक भी शिकार नहीं À 2012-2013 : एक भी शिकार नहीं À 2013-2014 : एक भी शिकार नहीं À 2014-2015 : एक भी शिकार नहीं.

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