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होटेलियर विनोद सिंह, अखिलेश की सहयोगी राजश्री हिरासत में
जमशेदपुर: कोर्ट परिसर स्थित बार भवन में उपेंद्र सिंह की हत्या के बाद पुलिस ने पारडीह स्थित होटल सिटी इन के मालिक विनोद सिंह व अखिलेश सिंह का काम देखने वाली सिदगोड़ा निवासी महिला राजश्री पति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. इनके अलावा टीएमएच में उपेंद्र सिंह की हत्या के बाद पहुंचे […]
जमशेदपुर: कोर्ट परिसर स्थित बार भवन में उपेंद्र सिंह की हत्या के बाद पुलिस ने पारडीह स्थित होटल सिटी इन के मालिक विनोद सिंह व अखिलेश सिंह का काम देखने वाली सिदगोड़ा निवासी महिला राजश्री पति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. इनके अलावा टीएमएच में उपेंद्र सिंह की हत्या के बाद पहुंचे सफदर को भी साकची थाने में रखकर पुलिस पूछताछ कर रही है. बुधवार की रात सिदगोड़ा थाना प्रभारी राजदेव सिंह ने विनोद सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया. विनोद सिंह श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे की हत्या में अखिलेश सिंह व अमलेश सिंह के साथ अभियुक्त हैं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक सजायाफ्ता अखिलेश सिंह सभी मामलों में जमानत पर बाहर रहने के दौरान कोर्ट में पेशी के लिए हमेशा सफेद रंग की ऑडी कार से आता था. पुलिस को सूचना मिली कि वह ऑडी कार सिटी इन के मालिक विनोद सिंह की है. पुलिस अखिलेश सिंह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां लेने के लिए विनोद सिंह से थाने में पूछताछ कर रही है. इसके अलावा उपेंद्र सिंह हत्याकांड में शामिल संजय सिंह, शिवा रेड्डी और हरीश की तलाश में भी छापेमारी की जा रही है. एसएसपी के नेतृत्व में गठित तीन टीम अलग-अलग बिंदुओं पर काम कर रही हैं.
सोनू को पुलिस ने भेजा जेल : उपेंद्र सिंह हत्याकांड में सीतारामडेरा थाने में बागबेड़ा कॉलोनी रोड नंबर पांच निवासी कुंदन कुमार सिंह के बयान पर सोनू सिंह उर्फ विक्की (रुइया पहाड़, बर्मामाइंस), विनोद सिंह (केबुल टाउन, गोलमुरी) और एक अन्य के खिलाफ भादवि की धारा 302/307/120(बी)/34 तथा 27 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार सोनू सिंह को गुरुवार को जेल भेज दिया है. अन्य आरोपी विनोद सिंह का पुलिस अभिरक्षा में टीएमएच में इलाज चल रहा है. सोनू से गुरुवार को सिटी एसपी व डीएसपी ने पूछताछ की.
आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज : कोर्ट में उपेंद्र सिंह हत्या के बाद पुलिस द्वारा जब्त किये गये हथियार के संबंध में सीतारामडेरा थाना प्रभारी रामेश्वर उरांव के बयान पर थाने में आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार विनोद सिंह उर्फ मोगली और सोनू सिंह उर्फ विक्की को आरोपी बनाया है. पुलिस ने जब्त हथियार की सूची बनाकर कोर्ट को अवगत कराया है.
उपेंद्र 10 बजे घर से निकले थे: दर्ज मामले के मुताबिक 30 नवंबर को सुबह 10 बजे बागबेड़ा कॉलोनी रोड नंबर-6 स्थित अपने घर याराना कॉम्प्लेक्स से कोर्ट जाने के लिए निकले थे. उपेंद्र सिंह के साथ कुंदन सिंह, बागबेड़ा थाने के पीछे रहने वाला सोनू ओझा, बड़ौदा घाट निवासी रामा उरांव, बागबेड़ा कॉलोनी रोड नंबर छह का लल्लू सिंह तथा स्कॉर्पियो चालक सुमन उर्फ मोहन मौजूद थे.
बैंक होकर 11.30 बजे उपेंद्र पहुंचे कोर्ट : उपेंद्र सिंह घर से निकलने के बाद पहले बैंक गये. इसके बाद सुबह 11.30 बजे कोर्ट पहुंचे. थोड़ी देर बाद बारीडीह का टिंकू सिंह चार-पांच लोगों के साथ आया व उपेंद्र सिंह से बातचीत करने लगा. कुछ देर बाद उपेंद्र सिंह, रामा उरांव, सोनू ओझा व टिंकू सिंह पुराना बार भवन के दूसरे तल्ले पर अधिवक्ता सीएसपी राय की टेबुल पर पहुंचे. उपेंद्र सिंह उनसे बातचीत कर रहे थे. दिन के दो बजे दो अनजान युवक वहां आये. एक ने दोनाली कट्टे से उपेंद्र की ललाट पर गोली मागी. वे कुर्सी से नीचे गिर गये. गोली चलाने वाले को पकड़ लिया गया, तो दूसरे ने मैगजीन वाली पिस्टल से अंधाधुंध फायरिंग की. इससे उपेंद्र सिंह को गोलियां लगीं व एक गोली पकड़े गये युवक को लगी. इतने में पुलिस आ गयी और दोनों को पकड़ लिया. हथियार को कब्जे में ले लिया. घटना के दौरान उपेंद्र सिंह के पास मौजूद लाइसेंसी रिवॉल्वर नीचे गिर गयी. इसके बाद बार भवन में कुछ लोगों की मदद से उपेंद्र सिंह को टीएमएच ले जाया गया.
जमशेदपुर कोर्ट. सुरक्षा के लिए बनेगा मास्टर प्लान
जमशेदपुर कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था हाई टेक की जायेगी. कोर्ट परिसर में प्रवेश से पूर्व आम लोगों के साथ-साथ अधिवक्ताओं की भी जांच की जायेगी. सभी प्रवेश द्वार पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध करायी जायेगी.
उक्त बातें बार भवन में बैठक के दौरान उपायुक्त अमित कुमार ने बार एसोसिएशन के सदस्यों के समक्ष कहीं. बुधवार को कोर्ट परिसर के बार भवन में अपराधियों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग के बाद गुरुवार को प्रधान जिला जज वीवी मंगलमूर्ति, उपायुक्त अमित कुमार, एसएसपी अनूप टी मैथ्यू, सिटी एसपी प्रशांत आनंद, एसडीओ सूरज कुमार सहित बार के पदाधिकारियाें ने करीब डेढ़ घंटे तक कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया. इसके बाद प्रधान जिला जज के कक्ष में पदाधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में कई निर्णय लिये गये. बैठक के दौरान बार एसोसिएशन की ओर से जिला प्रशासन को सौंपे गये मांग पत्र पर एसएसपी टी मैथ्यू ने जल्द विचार करने का आश्वासन दिया.
सुरक्षा व्यवस्था के लिए टीम गठित. एसएसपी अनूप टी मैथ्यू ने बताया कि कोर्ट की सुरक्षा के लिए स्थायी मास्टर प्लान तैयार किया जायेगा. सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक टीम गठित की गयी है, जिसे सिटी एसपी प्रशांत आनंद और एसडीओ सूरज कुमार लीड करेंगे. टीम कोर्ट परिसर में लाइव सिक्यूरिटी चेकिंग करेगी. टीम यह तय करेगी कि कोर्ट परिसर के अंदर -बाहर किन-किन प्वाइंट पर सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत है. सर्वे के बाद टीम रिपोर्ट सौंपेगी. शुक्रवार से टीम काम शुरू कर देगी. पुलिस अधिकारियों को भी बीच-बीच में कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर औचक निरीक्षण करने को कहा गया है. डीसी और एसएसपी ने बार के अधिवक्ताओं द्वारा बुधवार को दिखाये गये साहस की प्रशंसा की.
उपेंद्र की हत्या से शहर में गैंगवार की आशंका
जमशेदपुर. उपेंद्र सिंह की हत्या से शहर में एक बार फिर गैंगवार की आशंका उत्पन्न हो गयी है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि उपेंद्र सिंह की हत्या से बौखलाये परमजीत सिंह गिरोह के सदस्य अखिलेश सिंह के किसी नजदीकी या गिरोह के मुख्य सदस्य को निशाना बना सकते हैं.
19 मार्च 2009 को घाघीडीह जेल में परमजीत सिंह की हत्या के बाद शहर में गैंगवार छिड़ा था, हालांकि इसमें अखिलेश सिंह अौर उसके गिरोह को खास नुकसान नहीं पहुंचा था, लेकिन अनिल शर्मा उर्फ हांडी, इंद्रजीत सिंह उर्फ टुनटुन सिंह, छात्र शशि समेत कई लोगों की हत्या हुई थी. परमजीत सिंह की हत्या के बाद उपेंद्र सिंह परमजीत सिंह गिरोह के बिखरे सदस्यों को एकजुट करने के साथ-साथ आर्थिक मदद भी करता था. कई मौकों पर उपेंद्र सिंह के साथ परमजीत सिंह गिरोह के प्रमुख सदस्यों को पूर्व में देखा जा चुका है. उपेंद्र सिंह की हत्या से बौखलाये बदले की कार्रवाई कर सकते हैं. गुरुवार को पोस्टमार्टम हाउस अौर पार्वती घाट में अंतिम संस्कार के दौरान परमजीत सिंह गिरोह से जुड़े कई सदस्य सक्रिय देखे गये अौर बदले की कार्रवाई के संकेत भी दिये. परमजीत सिंह गिरोह के साथ-साथ उपेंद्र सिंह की बिहार के कई बड़े आपराधिक गिरोह से नजदीकी संबंध रहा है. राम सकल हत्याकांड में बिहार के नौबतपुर के अपराधी अौर एक दर्जन से ज्यादा कांडों को अंजाम देने वाले मनोज सिंह अौर उसके बेटे माणिक उर्फ बबुआ का नाम आया था. मनोज सिंह से उपेंद्र सिंह के करीबी रिश्ते हैं. उपेंद्र सिंह की हत्या के बाद सभी करीबी के एकजुट होकर बदले की कार्रवाई की आशंका जतायी जा रही है.
सूचना के बाद भी अखिलेश गैंग के सोनू व विनोद पर नहीं की कार्रवाई
20 दिन पहले जमशेदपुर पुलिस को दिया गया था अखिलेश गिरोह के दो दर्जन अपराधियों का नाम
जमशेदपुर पुलिस को करीब 20 दिन पहले एक सूचना दी गयी थी. सूचना में अखिलेश सिंह गिरोह के बारे में कई जानकारियां थीं. अखिलेश गिरोह के करीब दो दर्जन अपराधियों का नाम भी जमशेदपुर पुलिस को बताया गया था. नामों की सूची में सोनू और विनोद का नाम भी शामिल है. सीआइडी के एक सूत्र ने बताया कि संगठित अपराध शाखा के पास भी इसकी जानकारी थी. पुलिस मुख्यालय के अफसरों को भी इसकी जानकारी थी. वहीं से सीआइडी को पत्र आया था. जमशेदपुर कोर्ट परिसर में उपेंद्र सिंह को गोली मारने के बाद घटनास्थल से पुलिस ने अपराधी सोनू और विनोद को गिरफ्तार किया है. सूचना के साथ ही जमशेदपुर पुलिस से कहा गया था कि इन अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाये. अगर सूचना मिलने के साथ जमशेदपुर पुलिस ने अखिलेश सिंह गिरोह के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी होती, तो कोर्ट परिसर में फायरिंग व हत्या की घटना नहीं होती. सूत्रों के मुताबिक जमशेदपुर पुलिस को जिन दो दर्जन अपराधियों की सूची दी गयी थी, उसमें सोनू और विनोद के अलावा कन्हैया सिंह, राजेश, संतोष गुप्ता, राधा सिंह, सचिन, राकेश सिंह, सुधीर दुबे, भोला सिंह, नीरज कुमार सिंह, करण सिंह, शैलेंद्र प्रताप सिंह, रितेश राय, नीरज कुमार, राजीव राय और एक महिला का नाम शामिल है. पुलिस ने इनमें से किसी भी अपराधी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. जानकारी के मुताबिक सीआइडी की संगठित अपराध शाखा और जमशेदपुर पुलिस के पास अखिलेश सिंह गिरोह के बारे में कई बड़ी सूचना है, लेकिन उन सूचनाओं पर कभी-कभार ही कार्रवाई होती है.
ढाई करोड़ वसूली कराने पर मिली थी ऑडी कार. गैंगस्टर अखिलेश सिंह ऑडी कार से घूमता है. उसे जमशेदपुर के एक व्यवसायी ने ढाई करोड़ रुपये की वसूली करवा देने के बदले में िगफ्ट दिया था. सूत्रों के मुताबिक उस व्यवसायी ने एक दूसरे व्यवसायी को ढाई करोड़ दे रखे थे. वह पैसा वापस नहीं कर रहा था. व्यवसायी ने अखिलेश से संपर्क किया. जिसके बाद पैसा मिल गया. इसके बदले में तीसरे व्यवसायी के नाम पर कार खरीद कर िगफ्ट की.
अखिलेश का नेटवर्क ध्वस्त करने में जुटी पुलिस
जमशेदपुर. बार भवन में उपेंद्र सिंह की हत्या के बाद शहर की पुलिस एक बार फिर अखिलेश सिंह के सभी तरह के नेटवर्क को ध्वस्त करने की तैयारी में जुट गयी है. पुलिस अखिलेश सिंह गिरोह से जुड़े पुराने अौर नये सदस्य, व्यावसायिक सहयोगी, सामाजिक मददगारों की सूची बना रही है तथा अलग-अलग टीम बना कर एक साथ कार्रवाई करने की तैयारी है.
पुलिस अखिलेश सिंह का काम देख रही महिला सहयोगी को कस्टडी में ली है अौर उससे अखिलेश सिंह के तमाम कारोबार, कारोबार कौन-कौन संभालता है, कहां-कहां कितना निवेश किया है, किनसे नजदीकी संबंध हैं, समेत सभी तरह की जानकारी ले रही है. पूछताछ से मिली जानकारी के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर अखिलेश सिंह गिरोह को आर्थिक रूप से तोड़ने की कार्रवाई की जायेगी. दूसरी अोर पुलिस अखिलेश सिंह गिरोह में सक्रिय रूप से जुड़े सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है.
नोएडा से गिरफ्तार होने के बाद हुई थी बड़ी कार्रवाई, जब्त हुए थे कई ट्रेलर-हाइवा. 28 दिसंबर 2011 को नोएडा से गिरफ्तार कर लाने के बाद पुलिस ने अखिलेश सिंह अौर उसके गिरोह के लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी. उस समय की पूछताछ में लगभग सौ करोड़ की अखिलेश सिंह की संपत्ति होने की बात सामने आयी थी. पुलिस ने अलग-अलग स्थानों में लगे 22 हाइवा, ट्रेलर, पीसी को जब्त किया था, जो अलग-अलग नाम से रजिस्टर्ड हैं. साथ ही पूछताछ में खुलासा हुआ था कि जमशेदपुर में कई फ्लैट, कई महंगी गाड़ियां होने के साथ-साथ अखिलेश सिंह ने नोएडा में जेपी ग्रुप का फ्लैट अपने रिश्तेदार अमित कुमार सिंह के नाम से बुक कराया है. इसके अलावा बनारस में उसके ससुर चंदन सिंह की कुबेर काॅम्प्लेक्स में भी उसकी हिस्सेदारी है. दूसरे कई राज्यों में उसने रियल इस्टेट के धंधे में निवेश किये हैं. पूछताछ में हुए इस खुलासे के बाद प्रवर्तन निदेशालय पटना ने अखिलेश सिंह पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था. पुलिस ने कई वाहनों को जब्त किया था तथा कई सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था.
प्रशासन ने बॉडीगार्ड हटाये, हो सकती है मेरी हत्या : चंद्रगुप्त
आजसू पार्टी के जमशेदपुर प्रभारी चंद्रगुप्त सिंह को जिला प्रशासन से मिला बॉडी गार्ड गुरुवार की शाम वापस ले लिया गया. एक साल पूर्व प्रशासन ने दो पिस्टल धारी बॉडी गार्ड उपलब्ध कराया था. कुछ दिन बाद एक बॉडी गार्ड ट्रेनिंग में चला गया. आदेश मिलते ही दूसरे बॉडी गार्ड ने शाम में गोलमुरी पुलिस लाइन जाकर योगदान दे दिया. चंद्रगुप्त सिंह ने कहा कि शहर में स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे समय में बॉडी गार्ड हटा लिए जाने से मुझे प्रशासन की मंशा ठीक नहीं लग रही है. मेरी हत्या होती है, तो पुलिस दोषी होगी. अखिलेश सिंह का पिता हूं, यह कोई अपराध नहीं है. श्री सिंह ने बॉडीगार्ड हटाये जाने की लिखित जानकारी सिदगोड़ा पुलिस को दी है.
गिरफ्तार विक्की ने कबूला उपेंद्र का दो घंटे किया इंतजार फिर बार भवन में घुस की हत्या
उपेंद्र सिंह हत्याकांड में शूटर सोनू सिंह उर्फ विक्की, विनोद सिंह उर्फ मोगली के अलावा रेकी करने में हरीश, पश्चिमी सिंहभूम का रहने वाला शिवा रेड्डी और सिदगोड़ा 10 नंबर बस्ती का संजय सिंह उर्फ झोझो शामिल हैं. कोर्ट परिसर के अंदर पांचों मौजूद थे. शिवा रेड्डी ने दूसरे तल्ले पर विनोद व विक्की को लेकर अधिवक्ता की टेबुल पर बैठे उपेंद्र सिंह की पहचान करायी और फिर चला गया. कुछ देर बाद विनोद उपेंद्र सिंह की कुर्सी के नजदीक गया और आवाज लगाते हुए पीछे से कुर्सी में लात मारी. उपेंद्र जैसे पीछे मुड़े, तभी डबल बैरल पिस्तौल विनोद ने माथे पर सटा गोली मारी. पुलिस के समक्ष गिरफ्तार विक्की उर्फ सोनू सिंह ने यह कबूला है. सोनू ने पुलिस को बताया कि विनोद के गोली मारने के बाद उसने (विक्की) पिस्टल से उपेंद्र सिंह के बायें हाथ व पीठ को निशाना साधते हुए पांच राउंड गोली मारी. फायरिंग होने से भगदड़ मच गयी. इस बीच उपेंद्र सिंह के एक अंगरक्षक ने विनोद को पकड़कर टेबुल पर पटक दिया. जिसके बाद विक्की ने पकड़े जाने के भय से अंगरक्षक पर निशाना साध फायरिंग की. अंगरक्षक बाथरूम में जाकर छुपे. बाथरूम के दरवाजे पर भी विक्की ने फायरिंग की, जो दीवार में लगी. बचने के लिए उसके द्वारा चलायी गयी अंधाधुंध गोली में एक गोली विक्की को भी लगी है. पिस्टल की गोलियां खत्म होने के बाद वह पिस्टल फेंककर भागने लगा, तो अधिवक्ताओं ने उसे पकड़कर पीटना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद पुलिस आयी और उसे पकड़कर थाने ले गयी.
हत्या के बाद मिलने वाले थे दो-दो लाख. सोनू सिंह उर्फ विक्की ने पुलिस को बताया कि उपेंद्र की हत्या की प्लानिंग हरीश सिंह ने बनायी थी. हरीश अखिलेश सिंह से संपर्क में था और शिवा रेड्डी हरीश के प्लान के मुताबिक संजय, उसे (विक्की) तथा विनोद को गाइड कर रहा था. हत्या के बाद दो-दो लाख रुपये देने की बात कही गयी थी. जेल जाने के बाद अंदर और डेट का खर्च भी अखिलेश सिंह द्वारा उठाने और प्रत्येक माह परिवार को 15 से 20 हजार रुपये देने की बात कही गयी थी.
12 बजे शिवा रेड्डी ने फोन कर कोर्ट बुलाया था
पुलिस सूत्रों के मुताबिक उपेंद्र सिंह के घर से कोर्ट पहुंचने की रेकी हरीश, संजय सिंह तथा शिवा रेड्डी ने की. तीनों सुबह साढ़े दस बजे ही कोर्ट पहुंच गये थे. लगभग साढ़े ग्यारह बजे उपेंद्र सिंह अपने साथियों के साथ कोर्ट पहुंचे. कोर्ट में शिवा रेड्डी और संजय सिंह ने उपेंद्र के आस-पास रहकर उसके बैठने के स्थान के बारे में जानकारी ली. इसके बाद शिवा ने दिन के 12 बजे विनोद को मोबाइल पर कॉल किया कि वह विक्की को साथ लेकर कोर्ट के अंदर आ जाये. कुछ देर बाद विनोद और विक्की दोनों कोर्ट पहुंच गये. वहां शिवा रेड्डी, हरीश और संजय सिंह तीनों थे. दो घंटे तक उपेंद्र सिंह के बार भवन से बाहर निकलने का इंतजार किया गया. शिवा ने पहले प्लान बार भवन के बाहर निकलते ही गोली मारने की प्लान बनाया था. लेट होने की वजह से शिवा ने प्लान को बदला और फिर विनोद तथा विक्की को दूसरे तल्ला पर ले गया. वहां विनोद को शिवा ने वह जगह दिखायी जहां उपेंद्र सिंह बैठे थे. पहचान कराने के बाद शिवा नीचे उतर गया. बार भवन के पास संजय सिंह ने पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखी थी.
कड़ी सुरक्षा में उपेंद्र सिंह के शव का पोस्टमार्टम हुआ पांच गोली लगी थी, एक मिली
जमशेदपुर. बार भवन में अपराधियों ने उपेंद्र सिंह को पांच गोली मारी थी. पोस्टमार्टम के दौरान मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. उपेंद्र सिंह के शरीर( सिर) में फंसी हुई एक गोली मिली है, बाकी सभी गोली छेदते हुए निकल गयी. उपेंद्र सिंह को बायें बांह अौर बांह के नीचे गोली के तीन सुराख, ललाट पर एक सुराख मिला है. इसके अतिरिक्त बायें गाल के पास काला निशान मिला है जिसके बारे में बताया जाता है कि गोली गाल को छिलती हुई निकल गयी.
उपेंद्र सिंह के शव का एमजीएम मेडिकल कॉलेज में कड़ी सुरक्षा में पोस्टमार्टम किया गया. लगभग दस बज कर बीस मिनट पर शव को टीएमएच से एमजीएम मेडिकल कॉलेज स्थित पोस्टमार्टम हाउस लाया गया. पोस्टमार्टम हाउस में उपेंद्र सिंह के पुत्र अजय सिंह, करीबी पंकज दुबे, सुनील सिंह समेत तथा परिवार के सदस्य व करीबी मौजूद थे. हो-हंगामा की आशंका देखते हुए पोस्टमार्टम हाउस के बाहर दो वज्र वाहन, काफी संख्या में पुलिस के जवान, डीएसपी सीसीआर पूनम मिंज, इंस्पेक्टर सत्येंद्र सिंह आदि मौजूद थे. लगभग बारह बजे दो वज्र वाहन अौर कड़ी सुरक्षा के बीच शव को पोस्टमार्टम हाउस से बागबेड़ा स्थित उपेंद्र सिंह के आवास याराना पैलेस ले जाया गया.
हमार बेटा केकर का बिगड़ले रहे…
गुरुवार की दोपहर लगभग एक बजे उपेंद्र सिंह का शव बागबेड़ा कॉलोनी स्थित याराना मेंसन आवास लाया गया. शव के आने के पूर्व कॉलोनी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे. बागबेड़ा थाना प्रभारी जीतेंद्र ठाकुर के नेतृत्व में चारों अोर पुलिसकर्मी तैनात थे. दो वज्र वाहन की सुरक्षा में शव को बागबेड़ा कॉलोनी स्थित घर तक लाया गया. शव के आने के इंतजार में पूर्व से आसपास की महिलायें, स्थानीय लोग अौर परिचित जुटे हुए थे. शव के आते ही घर की महिला सदस्य जोर-जोर से रोने लगे. स्वास्थ्य का ध्यान रखकर परिवार की महिला सदस्यों को घर के भीतर लोगों ने भेज दिया. शव को याराना मेंसन परिसर के दरवाजे के सामने रखा गया अौर महिलाअों को अंतिम दर्शन हेतु बुलाया गया. शव आते ही उपेंद्र सिंह की बेटियों के चित्कार से माहौल गमगीन हो गया. बेटियां कभी रो रही थी तो कभी पुलिस पर आक्रोश जता रही थी कि आज वे लोग यहां हैं, लेकिन कल जब घटना हुई उस समय रहना चाहिये था तो नहीं थे. एक बेटी रो-रो कर बोल रही थी कि पापा आप हमें छोड़ कर क्यों चले गये. परिवार के अन्य महिला सदस्यों का भी रो-रो कर बुरा हाल था. सभी बिना नाम लिए अखिलेश सिंह को कोस रही थी. इस दौरान नाती भी नाना को याद कर रोने लगा. इसके बाद उपेंद्र सिंह की मां एवं पत्नी को दर्शन के लिए लाया गया. मां अौर पत्नी उपेंद्र सिंह के शव से लिपट कर रोने लगी. मां रो-रो कर सवाल कर रही थी कि उनके बेटे ने किसका क्या बिगाड़ा था जो उसकी जान ले ली. वह बार-बार बेटे को उठने बोल रही थी. घरवालों की स्थिति देख कर परिवार के करीबी लोगों ने जल्दी शव को निकालने का निर्णय लिया अौर घर से शव यात्रा निकाली गयी. बेटे तथा परिवार के अन्य लोग अर्थी को कंधा देकर गाड़ी की अोर ले जा रहे थे, इस बीच एक बेटी निकल कर आ गयी अौर रोते हुए अर्थी को कंधा देते हुए पापा के साथ जाना है बोलते हुए कंधा देते हुए आगे जाने लगी. कुछ दूर आगे जाने पर परिवार के लोगों ने उसे समझाकर संभाला व घर तक पहुंचाया. इसके बाद कड़ी सुरक्षा में शव यात्रा निकाली गयी जो स्टेशन गोलचक्कर, जुगसलाई मेन रोड होते हुए पार्वती घाट पहुंची.
युवक ने पुलिस पर जताया आक्रोश, चले जाने कहा. शव के आते ही पीसीआर वैन 9 उपेंद्र सिंह के घर के पास पहुंची थी. उसके पहुंचते ही एक युवक ने आक्रोशित शब्दों में पुलिसकर्मियों को वहां से चले जाने को कहा. युवक बोल रहा था कि सातों पुलिसकर्मियों को बेवजह सस्पेंड किया गया है. एक बुजुर्ग व्यक्ति ने युवक को समझा कर शांत कराया. शव आते साथ बंद हुईं बागबेड़ा की दुकानें. पोस्टमार्टम हाउस से शव को बागबेड़ा आते ही डीबी रोड की सभी दुकानें बंद हो गयी. शव यात्रा निकलने तक दुकानें बंद रही. दुकानें शाम में खुली.
पिता के सिर को गोद में लेकर बैठा रहा बेटा
जमशेदपुर. लगभग दो बजे उपेंद्र सिंह का शव बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट लाया गया. घाट पर सरायकेला के भाजपा नेता शैलेंद्र सिंह, जमशेदपुर के पूर्व महानगर अध्यक्ष विनोद सिंह, बस एसोसिएशन के उपेंद्र शर्मा, ट्रांसपोर्टर वीरेंद्र सिंह, रामाशीष शर्मा, पप्पू शर्मा, झामुमो के पवन सिंह, कांग्रेसी नेता आनंद बिहारी दुबे,पंकज दुबे, गुरमुख सिंह मुखे समेत काफी संख्या में ब्रह्मर्षि समाज व अन्य लोग पहुंचे थे. चिता में रखने के पूर्व शव को किनारे रखा गया था. बेटा अजय सिंह काफी देर तक अपने पिता के शव को गोद में लेकर गुमशुम बैठा रहा. शव को चिता में रखने के बाद भी बेटा काफी देर तक पिता से चिपका रहा. बेटे ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार संपन्न कराया.
इन्होंने दिया हत्याकांड को अंजाम
1़ विनोद सिंह उर्फ मोगली (उपेंद्र सिंह को पहली गोली मारी)
2. सोनू सिंह उर्फ विक्की
(साथी विनोद सिंह को कवर फायर देते हुए कई गोलियां चलायीं, जिसमें एक गोली विनोद सिंह को भी लगी)
3. हरीश सिंह 4. शिवा रेड्डी 5. संजय सिंह (तीनों ने उपेंद्र सिंह की रेकी की, शिवा दोनों शूटर को लेकर दूसरे तल्ले पर गया और पहचान करायी)
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