जमशेदपुरः देश में बड़े पैमाने पर उच्च शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता मानक के अनुसार नहीं है.
हालत यह है कि देश में फिलहाल 650 विश्वविद्यालय हैं, लेकिन इनमें से एक भी ऐसा नहीं है जो दुनिया के टॉप 200 विश्वविद्यालय की सूची में शामिल हो. यह आंकड़ा ही भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समझाने के लिए काफी है. यह बात एक्सएलआरआइ के टीएमडीसी हॉल में लोयोला बीएड कॉलेज द्वारा आयोजित सेमिनार में सामने आयी.
देश के उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को लेकर सेमिनार आयोजित किया गया था. लोयोला कॉलेज के प्रिंसिपल फादर कुरुविला ने कहा कि देश में उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है. यह भारतीय शिक्षण व्यवस्था के लिए सही नहीं है. इससे बाद भुवनेश्वर के रीजनल कॉलेज ऑफ एजुकेशन की डीन सविता प्रभा पटनायक ने प्रेजेंटेशन दिया और कहा कि शिक्षा से ही सोशल ग्रोथ के साथ ही अच्छे नागरिक का निर्माण होता है. यह देश की अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करता है. यूएस, यूके और ऑस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षण संस्थानों के संचालन की तकनीक के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी. इस दौरान माइक टी राज, फादर जोमन, संत जेवियर कॉलेज कोलकाता की डीन स्वाति सरकार, फादर टोनी आदि मौजूद थे.
शिक्षा पर भारत सरकार का बजट 12.7 प्रतिशत
मुख्य वक्ता कोलकाता के संत जेवियर कॉलेज की डीन स्वाति सरकार ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान के विकास के मामले में देश दूसरे विकासशील देशों से भी पीछे है. भारत में शिक्षा का बजट 12.7 फीसदी, यमन में 32.8 फीसदी, थाईलैंड में 28.30 फीसदी, मोरक्को में 26.40 फीसदी, केन्या में 22.10 फीसदी है. तमिलनाडु में 59 विवि हैं, जो देश में पहले स्थान पर है. महाराष्ट्र में सर्वाधिक 4631 कॉलेज, जबकि झारखंड में 231 कॉलेज हैं. झारखंड में दो लाख 70 हजार 450 छात्र उच्च शिक्षण संस्थानों पढ़ते हैं.