चेन्नई में सोमवार को लौटे टिनप्लेट निवासी अभिषेक दत्ता ने प्रभात खबर से जल प्रलय के खौफनाक मंजर का बयां किया. उसने बताया कि सड़क, हाइवे से लेकर खेतों तक सिर्फ पानी ही पानी था. रेल लाइन, बस स्टैंड, मेन रोड, हाइवे, कॉलेज सब कुछ पानी में डूबा हुआ था. एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ जा रहे दो बच्चों में से एक बच्चा आंखों के सामने बह गया, जबकि बुजुर्ग व दूसरे बच्चे को किसी तरह बचाया गया. चेन्नई स्थित एसआरएम यूनिवर्सिटी में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के फाइनल इयर के छात्र अभिषेक के अनुसार ऐसे खौफनाक समय में स्थानीय लोग मुसीबत में फंसे हुए लोगों के लिए दूत बन कर एकजुट रहे. ऊंचे क्षेत्र के लोग डूबे हुए क्षेत्र के लोगों को बचाने में लगे रहे.
22 नवंबर से तेज बारिश शुरू हुई अौर क्षेत्र में पानी भरने लगा. इस दौरान अस्थायी राहत कैंप से भोजन मिला. इस दौरान चेन्नई सेंट्रल से आ रहे दोस्त पटना निवासी मयंक और अभिषेक को रेलवे ट्रैक में पानी भरने के कारण लगभग 30 किमी दूर ही ट्रेन से पलावरम में उतरना पड़ गया. 20 किमी दूर तक वह सामान ढोने वाली गाड़ी से आया, लेकिन उसके आगे आने का कोई साधन नहीं रहने के कारण आठ किमी दूर पैदल चल कर उसे लाना पड़ा. 30 नवंबर को कुछ देर के लिए बिजली बहाल की गयी. 1 दिसंबर से पुन: तेज बारिश शुरू हुई अौर देखते ही देखते पूरा इलाका जलमग्न होने लगा. माडमबाकम का ऊपरी इलाका उरापकम अौर गुडूवांचरी का क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित था. इस कारण बिजली, खाना, पानी की आपूर्ति ठप हो गयी. कुछ-कुछ स्थानों पर दूध दो सौ रुपये लीटर तथा पीने का पानी सौ-डेढ़ सौ रुपये में मिल रहा था.