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47% ने माना- हड़ताल के लिए चालक जिम्मेदार

जमशेदपुर : शहर में एक महीने में दूसरी बार हुई ऑटो व स्कूली वैन चालकों की हड़ताल ने लोगों को परेशानी में डाल दिया. हड़ताल के कारण लोगों को सुबह-सुबह बच्चों को लेकर स्कूल जाना पड़ा और दोपहर में लाना पड़ा. यही नहीं बाहर से आने वाले लोग जब स्टेशन पर उतरे, तो उन्हें पैदल […]

जमशेदपुर : शहर में एक महीने में दूसरी बार हुई ऑटो व स्कूली वैन चालकों की हड़ताल ने लोगों को परेशानी में डाल दिया. हड़ताल के कारण लोगों को सुबह-सुबह बच्चों को लेकर स्कूल जाना पड़ा और दोपहर में लाना पड़ा. यही नहीं बाहर से आने वाले लोग जब स्टेशन पर उतरे, तो उन्हें पैदल ही घर को जाना पड़ा. क्योंकि न तो ऑटो चल रहे थे और न ही दूसरी कैब मिल पा रही थी.
ऑटो यूनियन और प्रशासन की तनातनी के बीच प्रभात खबर ने लोगों से यह जानने की कोशिश की कि आखिर बार-बार हो रही इस हड़ताल के लिए जिम्मेदार कौन है? प्रभात खबर की टीम ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में सड़क के किनारे टेंपो का इंतजार कर रहे 70 लोगों से बात कर उनकी राय जानी. इस दौरान 47% लोगों ने इस हड़ताल के लिए ऑटो चालकों को जिम्मेदार ठहराया. वहीं 24% लोगों ने प्रशासन और 18% प्रतिशत लोगों ने इसके लिए नेताओं को जिम्मेदार माना.
बन्ना की टेंपो पॉलिटिक्स वोट बैंक से प्रेरित
बन्ना गुप्ता के संरक्षण में की गयी हड़ताल वोट बैंक पॉलिटिक्स है. कुछ वर्ग विशेष के लोगों के तुष्टिकरण को यूनियन के नेता प्रशासन की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. बिना लाइसेंस, परमिट और दस्तावेज के ऑटो संचालन गलत है. राजनीति कर प्रशासन पर दबाव बनाना अनुचित है. यदि ऑटो चालकों के दस्तावेज में समय लग रहा है, तो परिवहन विभाग विशेष शिविर लगाये
दिनेश कुमार, जिलाध्यक्ष, भाजपा महानगर जमशेदपुर
प्रशासन दिखा रहा अड़ियल रवैया
जब जिला प्रशासन के पास शहर में ऑटो के विकल्प के तौर पर दूसरी व्यवस्था मौजूद नहीं थी, तो फिर अड़ियल रवैया दिखाकर जनता को परेशानी में नहीं डालना चाहिए था. प्रशासन ऑटो के कागजात बनाने के लिए तीन महीने का समय उपलब्ध कराये. हर थाना क्षेत्र में जिला परिवहन विभाग कैंप लगाकर कागजात सही करे. उसके बाद कार्रवाई करे.
डॉ पवन पांडेय, संरक्षक, झारखंड टेंपो चालक संघर्ष यूनियन
सस्ती लोकप्रियता चाहते हैं टेंपो नेता
सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऑटो यूनियन के नेताओं ने हड़ताल का आह्वान कर लाखों लोगों को परेशानी में डाल दिया है. प्रशासन जब दोपहिया चालकों को हेलमेट पहनने और कार चालकों को सीट बेल्ट नहीं लगाने पर फाइन कर सकता है, तो फिर टेंपो बिना कागजात के कैसे चल सकते हैं. काफी चालक स्वेच्छा से टेंपो चलाना चाहते हैं. उन्हें प्रशासन सुरक्षा मुहैया कराये.
संजीव आचार्य, महानगर अध्यक्ष, जदयू
प्रशासन को गंभीरता दिखानी चाहिए
टेंपो चालकों की हड़ताल के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है. प्रशासन ने सुविधा बहाल किये बिना ही जांच अभियान शुरू कर दिया. टेंपो चालक हर दिन फाइन देने को बाध्य हो रहे हैं. सरकार ने फिटनेस सेंटर नहीं खोला, लाइसेंस बनाने के लिए कार्यालय नहीं है, डीटीओ कार्यालय में लूट मची हुई है, लेकिन कोई देखनेवाला नहीं है.
रामदास सोरेन, जिलाध्यक्ष झामुमो
क्या कहा ऑटो चालकों के बारे में
लोगों ने कहा कि प्रशासन की जांच सही है. ऑटो चालकों को हड़ताल पर जाने के बजाय अपने कागजात सही करने चाहिये. बार-बार ब्लैकमेलिंग नहीं होनी चाहिये. जनता सब जानती है कि कौन सही है और कौन गलत. ऑटो और वैन चालक कितनी ओवरलोडिंग करते हैं, यह किसी से छिपा नहीं है. अगर ऑटो चालक सही हैं, तो उन्हें टेंपो चलाना चाहिये.
क्या कहा नेताओं के बारे में
कुछ नेता अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए ऑटो चालकों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन ये नेता यह भूल गये हैं कि उन्हें शहर की जनता ने नेता बनाया है. उन्हें ऑटो चालकों की परेशानी समझ में आती है, लेकिन पूरा शहर परेशान है, यह समझ में नहीं आता है. ऑटो चालकों को ऐसे नेताओं से अलग होकर टेंपो चलाना चाहिये, ताकि बच्चों और शहरवासियों को परेशानी न हो.
क्या कहा प्रशासन के बारे में
प्रशासन को चेकिंग अभियान जारी रखना चाहिये, लेकिन शहर के लोगों के बारे में भी सोचना चाहिये. प्रशासन प्रतिदिन धर-पकड़ कर लाखों रुपये जुर्माना वसूलता है, लेकिन शहर के लोगों को हो रही परेशानी को लेकर उनके पास कोई विकल्प नहीं है. प्रशासन को स्कूली बच्चों के लिए व्यवस्था करनी चाहिये, ताकि बच्चों को पढ़ाई प्रभावित न हो.

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