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केयू में अब डी-लिट, डी-एससी व इंटीग्रेटेड लॉ की पढ़ाई

बिना संबद्धता विषय में दाखिला लेने वाले सेंट अगस्टीन कॉलेज के छात्रों का होगा स्थानांतरण कॉलेज पर विवि ने लगाया जुर्माना पीड़ित विद्यार्थियों को भुगतान करना होगा मुआवजा राशि पीएचडी कोर्स वर्क परीक्षा से वंचित विद्यार्थियों को विवि देगा अंतिम मौका, विभाग ले सकेंगे एग्जाम जमशेदपुर : केयू में यूजीसी की नियमावली के आधार पर […]

बिना संबद्धता विषय में दाखिला लेने वाले सेंट अगस्टीन कॉलेज के छात्रों का होगा स्थानांतरण

कॉलेज पर विवि ने लगाया जुर्माना पीड़ित विद्यार्थियों को भुगतान करना होगा मुआवजा राशि
पीएचडी कोर्स वर्क परीक्षा से वंचित विद्यार्थियों को विवि देगा अंतिम मौका, विभाग ले सकेंगे एग्जाम
जमशेदपुर : केयू में यूजीसी की नियमावली के आधार पर डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी लिट) और डॉक्टर ऑफ साइंस (डी एससी) कराया जाएगा. शुक्रवार को चाईबासा स्थित विवि मुख्यालय में हुए एकेडमिक काउंसिल की बैठक में संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी. विवि ने यूजीसी की नियमावली को हूबहू स्वीकार कर लिया. विवि में केंद्रीय पुस्तकालय की नियमावली को भी अनुमति प्रदान की. इसके अलावा पांच वर्ष के इंटीग्रेटेड लॉ की पढ़ाई शुरू करने के प्रस्ताव को भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी. इसके तहत बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद ही छात्र पांच वर्षीय लॉ के कोर्स में दाखिला ले सकेंगे.
बैठक की अध्यक्षता कुलपति डॉ शुक्ला माहांती ने की. बैठक में प्रतिकुलपति डॉ रणजीत कुमार सिंह, कुलानुशासक डॉ एके झा सहित एकेडमिक काउंसिल के सभी सदस्य मौजूद रहे. बैठक में सबसे पहले जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज में पांच विषयों में स्नातकोत्तर तथा दो विषयों में आॅनर्स की पढ़ाई शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार किया गया. काउंसिल ने कॉलेज से इस संबंध में विषयवार शिक्षकों की संख्या सहित दूसरी जरूरी सुविधाओं का ब्यौरा तलब किया.
इसके अलावा एबीएम कॉलेज में एक विषय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार करते हुए कॉलेज से इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया. बैठक के दौरान शैक्षणिक सत्र 2017-20 में बिना संबद्धता वाले विषयों में विद्यार्थियों का दाखिला लेने वाले सेंट अगस्टीन कॉलेज को उनके कृत्य के लिए कड़ी फटकार लगायी गयी. कहा गया कि कॉलेज प्रशासन ने बिना संबद्धता वाले विषयों में दाखिला लेकर विद्यार्थियों के साथ विश्वासघात किया है. लिहाजा इस मामले में पुलिस व कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने वाले विद्यार्थियों को न्याय देने के लिए कॉलेज प्रशासन पर अर्थ दंड लगाया गया. तय किया गया है कि छात्र हित को ध्यान में रखकर बिना मान्यता वाले विषयों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को दूसरे काॅलेजों में स्थानांतरित किया जायेगा.

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