जमशेदपुर : टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में आठ दिनों के भीतर बीमारी से दो बाघिनों (एक मादा बाघ शावक व एक साढ़े तीन साल की बाघिन) की मौत के बाद सनसनी फैल गयी है. इस महामारी को चिड़ियाघर के दूसरों जानवरों तक पहुंचने से रोकने के लिए खास तौर पर पहल की जा रही है. चिड़ियाघर के डॉक्टरों ने सभी बाघों के ब्लड सैंपल लेकर कोलकाता व पटना के वेटनरी कॉलेज भेजे थे, जहां से रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है. इसके बाद बेबिसिओसिस बीमारी से चार बाघों को बचाने के लिए चिड़ियाघर प्रबंधन देश के अलग-अलग कोने के एक्सपर्ट डॉक्टरों की मदद ले रहा है.
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सभी चार बाघों की ब्लड रिपोर्ट निकली पॉजीटिव
जमशेदपुर : टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में आठ दिनों के भीतर बीमारी से दो बाघिनों (एक मादा बाघ शावक व एक साढ़े तीन साल की बाघिन) की मौत के बाद सनसनी फैल गयी है. इस महामारी को चिड़ियाघर के दूसरों जानवरों तक पहुंचने से रोकने के लिए खास तौर पर पहल की जा रही है. […]
बाघों के साथ ही कैट प्रजाति के अन्य जानवरों को भी रोग निरोधक इंजेक्शन दिये जा रहे हैं. मच्छरों को मारने के प्रयास जारी हैं.
ज्ञात हो कि टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में फिलहाल चार बाघ हैं. इसमें एक सफेद बाघ कैलास, बाघिन डोना व उक्त दोनों के संपर्क में आने से अगस्त में जन्म लेने वाली दो मादा शावक शामिल हैं.
वेक्टर कंट्रोल टीम ने साफ-सफाई का लिया जायजा : मंगलवार को जुस्को की वेक्टर कंट्रोल टीम ने चिड़ियाघर का दौरा किया. डॉ अतुल व उनकी टीम ने चिड़ियाघर में साफ-सफाई का जायजा लिया. उन्होंने पाया कि बबेसिया नामक प्रोटोजोआ बाघ के शरीर में रक्त के माध्यम से प्रवेश कर गया है और रक्त कोशिकाअों में उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट होने लगी हैं. इससे बाघों में खून की कमी हो गयी है और वे कमजोर हो गये हैं. इस प्रकार की बीमारी में बाघ खाना-पीना भी छोड़ देते हैं. वेक्टर कंट्रोल टीम ने चिड़ियाघर के डॉक्टरों को कई जरूरी निर्देश भी दिये.
जानवरों के डायट में कोई बदलाव नहीं : टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क के डायरेक्टर विपुल चक्रवर्ती ने बताया कि उक्त बीमारी से निबटने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. क्या बाघ के डायट में किसी प्रकार का कोई बदलाव किया गया है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जानवरों के खान-पान पर बीमारी का कोई अंतर नहीं पड़ा है. वे सामान्य दिनों की तरह ही खाना खा रहे हैं. बताया गया कि इन दिनों बाघ को खाने में चिकन, पोर्क और पीने के लिए इलेक्ट्रॉल पानी दिया जा रहा है. साथ ही गर्मी को देखते हुए उनके बाड़े में कूलर की व्यवस्था की गयी है.
जुस्को टीम का दौरा
शेर व तेंदुआ को बचाने की चुनौती
खून की कमी से कमजोर हुए बाघ
देश के इन एक्सपर्ट्स की ली जा रही मदद
डॉ गौरव श्रीवास्तव
डॉ नवीन कुमार
डॉ एबी श्रीवास्तव
डॉ बीएम अरोड़ा
सेंट्रल जू अथॉरिटी ने टाटा जू प्रबंधन से मांगी रिपोर्ट
टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में बाघों की मौत को लेकर सेंट्रल जू अथॉरिटी व झारखंड सरकार के वन विभाग की टीम भी गंभीर है. सेंट्रल जू अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेट्री डीएन सिंह ने टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क प्रबंधन से इस पूरे मामले में रिपोर्ट देने को कहा है. डीएफअो सबा अहमद ने भी इस मामले में चिड़ियाघर प्रबंधन से पूरे मामले पर रिपोर्ट सौंपने को कहा है. वहीं राज्य के मुख्य वन प्रतिपालक एलआर सिंह ने टाटा जू में हाल में हुए दो बाघों की मौत पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. उन्होंने बाघों की मौत का कारण स्पष्ट करने को कहा है. जू में बचे बाघों की जांच कराने और इलाज कराने का निर्देश भी दिया है.
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