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झारखंड की अर्थव्यवस्था बदलने का माद्दा रखने वाले तसर उद्योग सरकारी उपेक्षा का शिकार, दो वर्ष से 40 सीएफसी बंद हजारों महिलाएं बेरोजगार

देशभर में सबसे अधिक तसर का उत्पादन झारखंड में होता है. जबकि राज्य में सबसे अधिक उत्पादन खरसावां-कुचाई क्षेत्र में होता है. कुचाई सिल्क को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. यहां के तसर उद्योग को सरकारी प्रोत्साहन मिले, तो राज्य की अर्थ व्यवस्था बदल सकती है. एक साल से तसर उद्योग विभाग का उपक्रम […]

देशभर में सबसे अधिक तसर का उत्पादन झारखंड में होता है. जबकि राज्य में सबसे अधिक उत्पादन खरसावां-कुचाई क्षेत्र में होता है. कुचाई सिल्क को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. यहां के तसर उद्योग को सरकारी प्रोत्साहन मिले, तो राज्य की अर्थ व्यवस्था बदल सकती है. एक साल से तसर उद्योग विभाग का उपक्रम झारक्राफ्ट की गतिविधि कम हो गयी है. तसर कोसा से सूत कताई-बुनाई के लिये सरायकेला-खरसावां जिले के खरसावां, कुचाई, राजनगर व चांडिल में खोले गये 40 सामान्य सुलभ केंद्र बंद हैं. सिर्फ आठ केंद्रों पर कार्य चल रहा है. इससे बड़ी संख्या में महिलाएं रोजगार से वंचित हो गयी हैं. इसका असर बाजार पर पड रहा है. इसपर शचिंद्र कुमार दाश की विशेष रिपोर्ट…

बंबू क्राफ्ट, लेदर क्राफ्ट का कार्य भी बंद
लाह से चुड़िया बनाने, बंबू क्राफ्ट (बांस के सामान बनाने), लेदर क्राफ्ट (लेदर से जूते, बैग आदि) के कार्य पूरी तरह से बंद है. कपड़ों की एंब्रोडोरी का कार्य भी बंद है. इससे महिलाओं के रोजगार पर असर पड़ा है. पहले बड़ी संख्या में लोग बांस की कारीगरी कर रोजगार करते थे. ग्रामीण अंचलों में बंबू क्राफ्ट, लेदर क्राफ्ट से जुड़े शिल्पकार भी बेरोजगार हो गये है.

दो दर्जन देशों में कुचाई सिल्क की मांग
झारखंड क्राफ्ट की विश्वसनीय ब्रांड कुचाई सिल्क को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है. ऑर्गेनिक सिल्क होने के कारण विश्व के करीब दो दर्जन देशों में इसकी मांग है. विश्व का सबसे सबसे बड़ा तसर उत्पादक चीन भी पूर्व में भारत से कुचाई सिल्क का आयात कर चुका है.

कुचाई सिल्क के कायल हुए थे डॉ कलाम
देश के पूर्व राष्ट्रपति सह भारतरत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भी कुचाई सिल्क के कायल हुए थे. वर्ष 2004 में राष्ट्रपति रहते डॉ कलाम ने कुचाई के मरांगहातु गांव का दौरा कर यहां के तसर की प्रशंसा की थी.

तीन साल बाद झारक्राफ्ट ने शुरू की तसर कोसा की खरीदारी
वर्ष 2013-14 के बाद झारक्राफ्ट ने किसानों से तसर कोसा की खरीदारी बंद कर दी थी. इस वर्ष तसर कोसा की खरीदारी शुरू हो रही है. इससे किसानों को उचित मूल्य मिलने के साथ पुन सीएफसी के चालू होने की संभावना बढ गयी है. किसानों से खरीदे गये तसर कोसा से सीएफसी में सूत कताई होती है.

मलबाड़ी सिल्क के खेती की योजना खटाई में
कुचाई के गांवों में मलबाड़ी सिल्क की खेती कराने की योजना खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. तीन वर्ष पूर्व कुचाई के पगारडीह, सांकोडीह, बाईडीह व तिलोपदा में करीब 40 एकड़ जमीन पर शहतूत के पौधरोपण किया गया था. देखभाल की कमी के कारण अधिकांश पौधे खराब हो गये. सिल्क के चार किस्मों में मलबाड़ी सिल्क सबसे उन्नत व विश्व में सर्वाधिक पसंद किये जाने वाला सिल्क कपड़ा है. झारखंड में इसकी खेती काफी कम होती है. मलबाड़ी सिल्क मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में होता है.

झारक्राफ्ट से जुड़े शिल्पकारों को भी नहीं मिल रहा है काम

  • खरसावां-कुचाई के 38 में से 30 सीएफसी बंद
  • दो साल पहले तक करीब 1100 महिलाओं को रोजगार मिला था
  • अब सिर्फ आठ सीएफसी में करीब 150 महिलाएं कार्य कर रही
  • दो कपड़ा बुनाई केंद्रों में कार्य लगभग ठप पड़ा हुआ है
  • राजनगर, चांडिल व सरायकेला के सभी सीएफसी दो साल से बंद
  • सीएफसी में सूत कताई कर रोजाना 200 से 250 रुपये तक कमाती हैं महिलाएं
  • हस्तकरघा और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने को वर्ष 2006 में झारक्राफ्ट का गठन हुआ
  • खरसावां-कुचाई में इस वर्ष पांच करोड़ तसर कोसा का हुआ उत्पादन
  • किसानों को सीधे तौर पर 12 से 15 करोड़ तक की आमदनी हुई
  • सितंबर की बारिश से तसर की खेती को हुआ नुकसान
  • हर साल सैकड़ों किसानों को प्रशिक्षण देने वैज्ञानिक पहुंचते हैं

सरायकेला-खरसावां का सिल्क उद्योग

  • तसर की खेती से जुड़े लोग : करीब नौ हजार
  • तसर सूत कताई-बुनाई से जुड़ी महिलाएं : ढाई हजार
  • तसर खेती का प्रशिक्षित किसान : सात हजार
  • सूत कताई, बुनाई व अन्य प्रशिक्षण : तीन हजार महिलाएं
  • वर्तमान में संचालित सीएफसी (सूत कताई) : आठ
  • बंद हो चुकी सीएफसी (इन्हें अगले माह खोला जायेगा) : 40

झारक्राफ्ट ने किसानों से तसर कोसा की खरीदारा सरकारी दर से शुरू की है. खरसावां-कुचाई के किसानों से झारक्राफ्ट 50-60 लाख तसर कोसा की खरीदारी करेगी. सूत कताई के लिये बंद सीएफसी को जल्द चालू कर दिया जायेगा. इससे महिलाओं को रोजगार मिलेगा.

– सुनील कुमार शर्मा, पीपीओ, खरसावां सह सहायक उद्योग निर्देशक रेशम, कोल्हान

इस वर्ष क्षेत्र में तसर कोसा की अच्छी पैदावार हुई है. सरकारी स्तर पर तसर कोसा की खरीदारी हो रही है. सरकार तरस कोसा के समर्थन मूल्य में बढोतरी करे. तसर अंडा में किसानों को सब्सिडी दे.

– महेश्वर उरांव, तसर किसान

सीएफसी में सूत कताई पर दिनभर काम कर 200-250 रुपये तक कमाई होती है. तसर सूत कातकों का रोजगार बढाने के प्रति सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. तसर उद्योग क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बदल सकता है.

– कंचन बेहरा, तसर सुत कातक महिला, खरसावां सीएफसी

खरसावां-कुचाई में उत्पादित कोकून को ऑर्गेनिक तसर का दर्जा
खरसावां, कुचाई व राजनगर क्षेत्र में उत्पादित कोकून को ऑर्गेनिक तसर का दर्जा प्राप्त है. इसमें किसी तरह के रासायनिक खाद का उपयोग नहीं होता है. यह कपड़ा पहनने पर शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. कई बार विदेशी विशेषज्ञ यहां के तसर की बारिकियों को जानने पहुंचते हैं.

एक तसर कोसा पर किसानों को मिलेंगे तीन रुपये
झारक्राफ्ट ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में तसर कोसा की खरीदारी के लिये समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी है. रीलिंग तसर (डाबा तसर) के ग्रेड-वन पर तीन रुपये, ग्रेड-टू पर 2.23 रुपये व ग्रेड-थ्री पर 1.45 रुपये निर्धारित किया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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