पदमा. प्रखंड अंतर्गत बुंडू गांव के बिरवाटांड़ टोला (बिहारी पंचायत) में शुक्रवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मौके पर ग्रामीणों ने खुलकर अपनी समस्याओं को साझा किया़ उन्होंने कहा कि बिरवाटांड़ टोला में पचास से अधिक घर हैं, जिसमें लगभग 500 अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. इस टोला में पिछले 20 साल से यहां पीने के पानी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. सरकार की ओर से लाखों रुपये खर्च कर जल नल योजना के तहत 2024 में सोलर पानी टावर लगाया गया था. सभी घरों के दरवाजे पर नल भी लगाये गये. सरकार के आंकड़े में बिरवाटांड़ में पानी की समस्या पूरी तरह से खत्म हो गयी है. संवेदक ने सोलर टावर और नल का पैसा भी निकाल लिया, लेकिन बिरवाटांड़ के लोगों को आज तक उक्त योजना से एक बूंद पानी नहीं मिला. ग्रामीणों को एक किलोमीटर दूर दूसरे टोला या दो किमी दूर जंगल स्थित राणादाह में चुआं खोदकर पीने का पानी लाना पड़ता है.
पत्थर खदान में जमा पानी से करते हैं स्नान
ग्रामीणों ने बताया कि नहाने और कपड़ा धोने के लिए आधा किलोमीटर दूर पुराने बंद पड़े पत्थर खदान में जाना पड़ता है. नहाने-धोने के क्रम में गहरे पानी में डूबने से अब तक दो लोग गंवा चुके हैं. पानी की किल्लत के कारण लोग जान जोखिम में डालकर खाई के पानी में स्नान करने जाते हैं.
20 साल बाद भी दूर नहीं हुई पानी की किल्लत
बिरवाटांड़ निवासी बसंती ने बताया कि हम पिछले 20 साल से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. कई नेता, विधायक, मुखिया, अधिकारी आये, पर आज तक हमलोगों की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. आज भी हमलोग जंगल के राणा दाह से चुआं खोदकर पीने का पानी लाते हैं. बगल के टोला में जाते भी हैं तो लोग गर्मी में पानी नहीं देते. सरस्वती देवी ने कहा कि घर के सामने पानी का टावर लग गया, पर उसमें पानी आता नहीं है. टावर लगाने वाला कभी देखने तक आता नहीं है. हीरालाल राम ने कहा कि अगर बगल के पत्थर खदान में पानी नहीं होता, तो हमलोगों को नहाने का भी नसीब नहीं होता. उसी खदान में महिला, पुरुष व बच्चे नहाते हैं. बबलू राम ने कहा कि टावर की बोरिंग और पाइप की गहराई कम होने के कारण टंकी में पानी नहीं चढ़ता है. कौशल्या देवी व राखी देवी ने बताया कि दो-चार साल पहले बीडीओ आये थे. गांव वालों के साथ बैठक कर कहा गया था कि एक सप्ताह में पानी की समस्या को दूर कर देंगे, पर आज तक नहीं हुआ. शांति देवी ने कहा कि शादी-विवाह में तो हमलोगों को काफी परेशानी होती है. पानी की किल्लत को देखते हुए लोग यहां अपनी बेटी की शादी तक नहीं करना चाहते हैं.
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