हजारीबाग. अन्नदा कॉलेज में विश्व आदिवासी अस्मिता विषयक एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न हो गया. मुख्य वक्ता विभावि के मानवविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ विनोद रंजन ने आदिवासी अस्मिता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति एवं जीवन पद्धति का प्रकृति से गहरा संबंध है. इसका संरक्षण समाज के लिए आवश्यक है. ऐसे सेमिनार से समाज में आदिवासी अस्मिता एवं संस्कृति के संरक्षण को लेकर नयी सोच एवं जागरूकता आयेगी. विषय प्रवेश कॉलेज के समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ ललिता राणा ने कराया. उन्होंने आदिवासी समुदाय की परंपराओं, भाषा एवं रीति-रिवाजों को समझने और संरक्षित करने पर बल दिया. प्राचार्य डॉ नीलमणि मुखर्जी ने कहा कि हम सभी आदिवासी शब्द से परिचित हैं, लेकिन इस समुदाय से हमें सीखने एवं अपनाने की जरूरत है. प्राचार्य ने मुख्य वक्ता को पुष्प गुच्छ एवं प्रोफेसर इंचार्ज डॉ सुभाष कुमार ने शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया. मंच संचालन सुरजीत दास ने किया. सेमिनार में इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ बंशीधर प्रसाद रुखैयार, प्राध्यापक डॉ अजीत श्रीवास्तव, डॉ नौशाद अनवर, डॉ अजय वर्मा समेत शिक्षक, छात्र एवं न्पस्थित थे.
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