बड़कागांव. बड़कागांव प्रखंड कृषि प्रधान क्षेत्र है. पर यहां सिंचाई का अभाव है. यह प्रखंड झारखंड ही नहीं अन्य राज्यों में भी स्वादिष्ट गुड़, परवल व हरी साग सब्जियों के क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है. इसके बावजूद यहां सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. बड़कागांव में 44 वर्ष से उद्भव सिंचाई योजना बंद है. उद्भव सिंचाई योजना के तहत लगा पाइप और मशीन की चोरी हो गयी है. इसके तीन जर्जर भवन हो चुके हैं, जो वर्तमान में जुआरियों व नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. दबंग किस्म के लोगों ने उद्भव सिंचाई के नाले के रास्ते पर कब्जा कर लिया है. सरकारी अफसर भी उन पर कार्रवाई करने से बचते हैं. किसान नदी, तालाब, कुआं और बोरिंग के सहारे खेती करते हैं. गर्मी के मौसम में जलाशय सूख जाते हैं. ऐसी स्थिति में किसानों को सिंचाई करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. ठाकुर मोहल्ला के ग्रामीण और बड़कागांव के किसानों ने बताया कि बड़कागांव में सिंचाई के लिए उद्भव सिंचाई योजना के तहत 1980 में उद्भव सिंचाई की स्थापना की गयी. उस समय लाखों रुपये खर्च कर कुआं, बिजली घर तथा गांवों व खेतों तक पाइपलाइन बिछायी गयी थी. नाले का निर्माण हुआ था. यह योजना दो वर्ष तक सफल रही. वर्ष 1983 के बाद से यह योजना ठप है. तब से किसी ने कोई पहल नहीं की. धीरे-धीरे नाले भी खत्म हो गये.
नालों पर अतिक्रमण कर घर बना लिया
नाले पर कई लोगों ने अतिक्रमण कर घर बना लिया है. पानी की टंकी भी गायब हो गयी. मशीन जंग लगने से गायब हो गयी है. सिंचाई योजना बंद हो जाने के बाद भी किसानों ने खेती करना नहीं छोड़ा. वे बारिश और नदियों के पानी के भरोसे खेती कर रहे हैं. उद्भव सिंचाई योजना के तहत बने कुएं जर्जर हो गये हैं.
इन गांव में सिंचाई भगवान भरोसे
बड़कागांव के पीपल नदी, तरीवा नदी, झरिवा नदी के किनारे लगभग 175 एकड़ भूमि, चोरका, पंडरिया, महटिकरा, हरदरा नदी क्षेत्र में खेती होती है. इसके अलावा बादमाही नदी, विश्रामपुर की नदी, मंझलाबाला नदी, सिरमा, छावनियां नदी के किनारे सैकड़ों एकड़ भूमि में खेती होती है. नदियों के सूख जाने के कारण फसल बर्बाद होने के कगार पर है. कृषक सुखदेव महतो, सुरेश महतो, लखन महतो ने बड़कागांव में बंद पड़े सिंचाई योजना को चालू करने की मांग की है.
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