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स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं नदारद

केरेडारी : हजारीबाग जिले के केरेडारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की स्थिति दयनीय हो चुकी है. केरेडारी के इकलौते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने सरकारी सुविधाओं को घोर अभाव है. ऐसी स्थिति में लोगों को निजी क्लीनिक में इलाज कराने पड़ता है. जानकारी के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नौ चिकित्सकों व इतने ही नर्सों की […]

केरेडारी : हजारीबाग जिले के केरेडारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की स्थिति दयनीय हो चुकी है. केरेडारी के इकलौते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने सरकारी सुविधाओं को घोर अभाव है. ऐसी स्थिति में लोगों को निजी क्लीनिक में इलाज कराने पड़ता है. जानकारी के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नौ चिकित्सकों व इतने ही नर्सों की जरूरत है, लेकिन दो चिकित्सकों व कुछ नर्सों के भरोसे यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है. यहां दो एंबुलेंस मुहैया करायी गयी है, लेकिन उसकी भी स्थिति जर्जर है. एंबुलेंस के लिए चालक तक नहीं है.
बेड का घोर अभाव : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छह बेडवाला है, लेकिन मरीजों का इलाज जमीन पर होता है. हाल यह है कि लोगों को इलाज के बाद आराम के लिए अपने घरों से बिस्तर लाना पड़ता है. नर्सों के अभाव के कारण रोगियों का सही देखभाल नहीं हो पाता है. प्रभारी डॉ कुमार संजीव, डॉ जियाउल हक को छोड़ अन्य कोई चिकित्सक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं रहते हैं.
नौ पंचायतों में नहीं बना उप स्वास्थ्य केंद्र
प्रखंड में कुल 16 पंचायत हैं, जबकि मात्र 11 उप-स्वास्थ्य केंद्र हैं. मनातू, र्गीकला, हेंदेगीर में दो-दो उप-स्वास्थ्य केंद्र हैं, जबकि कंडाबेर, चट्टी बारियातू, बुंडू, पताल में एक-एक हैं, जो एएनएम के सहारे संचालित है. यहां माह में एक-दो दिन ही डॉक्टर दिखायी देते हैं. इसके अलावा सलगा, केरेडारी समेत नौ पंचायतों में एक भी उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं बनाया गया है.
चिकित्सकों के लिए आवास नहीं
चिकित्सकों के लिए यहां आवास की सुविधा नहीं है. पिछले कई सालों से चिकित्सकों का आवास जर्जर पड़ा हुआ है. स्वास्थ्य कर्मी भवन में किसी तरह से रह रहे हैं. स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर कुमार संजीव ने बताया कि विभाग से कई बार स्वास्थ्य कर्मियों की पोस्टिंग केरेडारी में करने की मांग की गयी. वहीं जंगल के किनारे करोड़ों रुपये से बनाये जा रहे स्वास्थ्य केंद्र के भवन को हॉस्पिटल कैंपस में बनाने के मुद्दे को भी उठाया गया, लेकिन गंभीरता नहीं बरती गयी.

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