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राष्ट्रीय लोक अदालत में 70392 मामले निबटे

वादों के निष्पादन से 48 करोड़ 19 लाख 90 हजार 774 रुपये राजस्व की प्राप्ति

हजारीबाग. सिविल कोर्ट परिसर में शनिवार को वर्ष की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत लगी. इसका उदघाटन डीएलएसए अध्यक्ष सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार, अन्य न्यायाधीशों एवं बार के पदाधिकारियों ने दीप जलाकर किया. इसमें अलग-अलग प्रकार के 70 हजार 392 मामलों का निबटारा किया गया. इस दौरान 48 करोड़ 19 लाख 90 हजार 774 रुपये का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ. वादों के निबटारे के लिए 13 बेंच बनाये गये थे. इन बेंचों के माध्यम से बैंक रिकवरी के 726, सुलहनीय अपराध के 387, बिजली विभाग के 367, श्रम विभाग के सात, भूमि अधिग्रहण के 561, दुघर्टना दावा के 10, वैवाहिक विवाद के 46, चेक बाउंस के 146, दीवानी मुकदमा 26, राजस्व संबंधी 160, वाटर बिल विवाद 885 एवं प्रीलेटिगेशन एवं अन्य मामले के 67071 मामले का निबटारा हुआ.

लोक अदालत न्याय पाने का सस्ता व सरल माध्यम : पीडीजे

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार ने कहा कि लोक अदालत न्याय पाने का सबसे सस्ता और सरल माध्यम है. उन्हाेंने कहा कि देश में पहली लोक अदालत वर्ष 1982 में जूनागढ़ में लगी थी. 1987 में जिला विधिक सेवा प्राधिकार की स्थापना हुई. तब से देश भर की अदालतों में लगातार लोक अदालत लगाने का सिलसिला जारी है. मौके पर बार संघ अध्यक्ष अधिवक्ता राजकुमार राजू, सचिव सुमन कुमार सिंह, कुटुंब न्यायाधीश अनुज कुमार, श्रम न्यायाधीश दिनेश राय ने विचार रखे. मंच संचालन न्यायिक पदाधिकारी अनुष्का जैन व धन्यवाद ज्ञापन प्राधिकार के सचिव गौरव खुराना ने किया.

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