हजारीबाग. व्यवहार न्यायालय के न्याय सदन भवन में शनिवार को इस वर्ष के दूसरे राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन हुआ. उद्घाटन झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने ऑनलाइन किया. इस दौरान 63,104 मुकदमों का निबटारा किया गया. इनमें प्री-लिटिगेशन के 55,993 और व्यवहार न्यायालय में लंबित व राजस्व संबंधी 7,111 मामले शामिल हैं. साथ ही 75,08,97,581 रुपये की राशि का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ. मुकदमों के निबटारे के लिए 11 बेंच बनाये गये थे. प्रत्येक बेंच में एक न्यायिक पदाधिकारी, अलग-अलग विभागों के एक कर्मी, एक पैनल अधिवक्ता और दो न्यायालय कर्मी की सेवा ली गयी. लोक अदालत में बैंक रिकवरी के 604 मामले, सुलहनीय अपराध के 226, बिजली विभाग के 290, भू-अर्जन के 1018, श्रमिक विभाग के एक, मोटर वाहन दुर्घटना दावा के 10, वैवाहिक विवाद के 21, सिविल के 10, पानी, बिजली बिल एवं टैक्सों से संबंधी 169, चेक बाउंस के 85, वित्त से संबंधी 23, 598 समेत अन्य 39,072 मामलों का निबटारा किया गया. यह जानकारी विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव गौरव खुराना ने दी. प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार ने राष्ट्रीय लोक अदालत में आये पक्षकारों से कहा कि लोक अदालत मुकदमों के निबटारे के लिए ऐसा विकल्प है, जिससे त्वरित न्याय मिलने के साथ-साथ समय और पैसे की बचत होती है. उन्होंने लोक अदालत का प्रचार-प्रसार सुदूरवर्ती इलाकों में करने पर बल दिया. कहा कि जानकारी के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र के लोग लोक अदालत के माध्यम से अपने मुकदमों के निबटारे कराने में पीछे छूट रहे हैं. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार राजू ने भी लोक अदालत के महत्व पर प्रकाश डाला. मंच संचालन न्यायिक पदाधिकारी अनुष्का जैन और धन्यवाद ज्ञापन गौरव खुराना ने किया.
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