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पेंशन राशि जीवन का आधार है

तीन मार्च को झारखंड सरकार बजट प्रस्तुत करेगी. जिसे लेकर प्रभात खबर ने गुरुवार को पेंशनधारियों के साथ परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया.

झारखंड बजट परिचर्चा : पेंशन राशि जीवन का आधार है, इसे सरकार नियमित दें

27 गुम 7 से लेकर 14 तक में पेंशनधारी

प्रतिनिधि, गुमला

तीन मार्च को झारखंड सरकार बजट प्रस्तुत करेगी. जिसे लेकर प्रभात खबर ने गुरुवार को पेंशनधारियों के साथ परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया. परिचर्चा में पेंशनधारियों ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि पेंशन राशि पेंशनरों के जीवन का आधार है, इसे सरकार नियमित प्रदान करें

पेंशनधारियों ने सरकार से की मांग

पेंशनधारी तेजपाल राम ने कहा कि सरकार कोरोना काल के समय का 18 माह का डीए का अब तक भुगतान नहीं किया है. उसे भुगतान कराने के लिए बजट में पहल करें. वहीं एडिशनल भुगतान का दावा 20 प्रतिशत भुगतान 65 वर्ष में करने की बजट में मांग की है. महावीर मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में हमारा डीए 53 प्रतिशत हो गया है. 50 प्रतिशत से अधिक होने पर मूल पेंशन में उसे जुड़ना है. लेकिन 53 प्रतिशत होने पर भी उसे मूल पेंशन में नहीं जोड़ा गया है. उन्होंने इस दिशा में बजट में राज्य सरकार से मांग की इस पर ध्यान देकर पेंशनरों का ध्यान दिया जाये. सुरेंद्र खड़िया व डोमन राम मोची ने संयुक्त रूप से कहा कि सरकार की व्यवस्था एवं निहित प्रावधान के प्रति हम सभी पेंशनधारी आभार प्रकट करते है. पेंशन की राशि बुढ़ापा का चादर हर पेंशनधारी का होता है. उन्होंने पेंशन भुगतान की स्वीकृति छह माह के पश्चात नहीं मिलने की अनियमितता पर राज्य स्तर से पहल कर दूर करने की मांग की है. केदारनाथ मिश्रा ने कहा कि पेंशन की राशि पेंशनरों के जीवन का आधार है. पेंशन में नियमितता बनी रहे. वहीं 50 प्रतिशत डीए पूर्ण होने पर उसे मूल वेतन में जोड़ने की पहल राज्य सरकार को बजट में निर्धारित करना चाहिए. सदाशिव नंद ने कहा कि बहुत सारे सेवानिवृत्त अल्पसंख्यक पेंशनधारियों को अभी तक सातवां वेतनमान नहीं मिल पाया है. उन्होने बताया कि वर्ष 2016 से पूर्व के जितने अल्पसंख्यक सेवानिवृत्त हुए है. उनको सातवां वेतनमान नहीं मिल पाया है. बल्कि अल्पसंख्यक को छोड़कर सभी सरकारी सेवानिवृत्ति वालों को इसका लाभ दे दिया गया है. वर्तमान में उसकी चिट्ठी भी जारी हो चुकी है. लेकिन फिर भी उनको लाभ नहीं दिया जा रहा है. इस पर राज्य सरकार को पहल करने की जरूरत है. द्वारिका मिश्रा व प्रभाकर दास ने संयुक्त रूप से कहा कि राज्य सरकार का स्वास्थ्य बीमा की चिट्ठी निकली है. उसमें सेवानिवृत्त पेंशनधारियों को नहीं जोड़ा गया है. पेंशनधारी भी सेवानिवृत्ति से पूर्व सरकारी कर्मी थे. जब वे सेवानिवृत्त हो चुके है, तो उन्हें स्वास्थ्य बीमा से नहीं जोड़ना सरकार की दोहरी नीति को दर्शाता है. जिसका हम पेंशनधारी रोष प्रकट करते है. साथ ही सरकार से मांग करते है कि इस बजट सत्र में उक्त स्वास्थ्य बीमा की चिट्ठी में पेंशनधारियों को जोड़ने की मांग की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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