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गरीबी में जी रही गुमला की नेशनल रेसलर रीता सुरीन, पढ़ाई तक के पैसे नहीं, रांची के एक दंपती ने लिया गोद

jharkhand news: गरीबी में जी रही गुमला की नेशनल महिला पहलवान रीता सुरीन ने हेमंत सरकार से लगायी गुहार लगायी है. पढ़ाई तक के पैसे नहीं होने के कारण जहां भाइयों की पढ़ाई छूट गयी, वहीं रीता को रांची के दंपती के घर रखकर पढ़ाई कर रही है. उन्होंने सरकार से सहयोग की अपील की है.

Jharkhand News: गुमला जिले के घोर उग्रवाद प्रभावित कामडारा प्रखंड के सलेगुटू गांव की रीता सुरीन (23 वर्ष) ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर की कुश्ती प्रतियोगिता में कई मेडल जीती और झारखंड का नाम रोशन किया, लेकिन आज रीता व उसके परिवार के लोग गरीबी में जी रहे हैं. इस परिवार को सरकारी सुविधा भी नसीब नहीं है. प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला. अभी भी कच्ची मिट्टी के घर में रहते हैं. घर में शौचालय नहीं है. खुद रीता सहित परिवार के सभी सदस्य खुले खेत में शौच करने जाती है.

लाल कार्ड भी नहीं बना है. काफी प्रयास के बाद प्रशासन ने पीला कार्ड बनाया. जबकि रीता के माता-पिता गरीबी में जी रहे हैं और खेती-बारी कर घर का चूल्हा-चौका जलता है. गरीबी के कारण एक भाई रंजीत सुरीन ने पढ़ाई छोड़ दी और दो भाई व एक बहन पढ़ाई कर नहीं पाये. रीता ने गुमला प्रशासन व सरकारी से मदद की गुहार लगायी है. जिससे उसके परिवार की जीविका ठीक ढंग से चल सके.

सरकार मुझे खेल कोटा से नौकरी दें : रीता

रीता सुरीन ने कामडारा प्रखंड के कस्तूरबा स्कूल से इंटर पास की. स्नातक करने के बाद अभी इग्नू से पीजी कर रही है. रीता ने बताया कि वह वर्ष 2014 से कुश्ती प्रतियोगिता में भाग ले रही है. जिला से लेकर राज्य व राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिता में भाग ली है. मेडल व प्रमाण पत्र प्राप्त की. रीता ने कहा कि मेडल व प्रमाण पत्र से परिवार का पेट पाल नहीं सकते. सरकार मुझे नौकरी दें. ताकि मैं घर परिवार की जीविका चला सकूं.

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रांची की एक दंपती ने लिया गोद

रीता ने बताया कि इंटर तक वह कस्तूरबा स्कूल में पढ़ी, लेकिन इसके बाद पीजी करने व इग्नू की पढ़ाई पूरी करने के लिए उसे रांची की एक दंपती ने गोद लिया है. वही लोग उसे पढ़ा रहे हैं, लेकिन रीता को अपने घर परिवार और अपने भविष्य की चिंता सता रही है.

रीता के तीन बहन व तीन भाई है

रीता के तीन बहन व तीन भाई है. इसमें एक भाई व एक बहन की शादी हो गयी है. छोटी बहन रश्मि सुरीन कस्तूरबा स्कूल में 11वीं कक्षा व रंजनी सुरीन पांचवीं कक्षा में गांव के स्कूल में पढ़ती है. गरीबी के कारण उसके तीनों भाई पढ़ नहीं सके. माता-पिता के साथ खेती-बारी करते हैं. रीता ने कहा कि खेती-बारी से ही घर की जीविका चलता है.

रीता सुरीन के पिता जोहन सुरीन व मां रतनी सुरीन है. माता-पिता ने कहा कि मेरी बेटी 2014 से कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेकर राज्य व जिले का नाम रोशन कर रही है. अभी भी वह सीनियर वर्ग में भाग लेती है, लेकिन सरकार व प्रशासन द्वारा उसके परिवार को किसी प्रकार की मदद नहीं की जा रही है. माता-पिता ने कहा कि हमलोग अब तो बूढ़े हो रहे हैं. कम से कम मेरी बेटी को नौकरी मिल जाये, तो घर की आर्थिक स्थिति सुधर सकती है.

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रिपोर्ट: दुर्जय पासवान, गुमला.

Prabhat Khabar Digital Desk
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