गुमला. कार्तिक उरांव चौक में स्व कार्तिक उरांव की जयंती मनायी गयी. मुख्य अतिथि आदिवासी नेता सह समाज सेवी जगरनाथ उरांव ने कहा कि स्व कार्तिक उरांव आदिवासी अस्मिता, एकता और गर्व के प्रतीक हैं. बाबा कार्तिक उरांव आदिवासी समाज के गौरव व स्वाभिमान हैं. उन्होंने अपने जीवन में हमेशा वंचित और गरीब वर्ग के उत्थान के लिए संघर्ष किया. उन्होंने आगे कहा आज हम सबको उनके दिखाये रास्ते पर चलने की जरूरत है. उन्होंने सिखाया है कि शिक्षा ही समाज को सशक्त बना सकती है. कार्तिक उरांव ने आदिवासी समाज की आवाज दिल्ली तक पहुंचायी और हमें आत्मसम्मान व एकता का पाठ पढ़ाया. झारखंड के वे पहले नेता हैं. जिन्होंने आदिवासियों के हक व अधिकार के लिए आवाज उठायी. करमडीपा चौक का नाम अब कार्तिक उरांव चौक होने से आने वाली पीढ़ियां उनके योगदान को याद रखेंगी. यह चौक सिर्फ एक स्थान नहीं. बल्कि प्रेरणा स्थल बन जायेगा, जहां से समाज को नयी दिशा और ऊर्जा मिलेगी. कार्यक्रम में महिला संघ की सदस्यों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर समारोह को सांस्कृतिक रंग में रंग दिया. पारंपरिक परिधान में सजी महिलाएं और पुरुष ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए अपने महानायक को श्रद्धांजलि अर्पित किये. पूरा माहौल जोहार बाबा कार्तिक उरांव के नारों से गूंज उठा.
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