सिसई. डिजिटलीकरण व आधुनिक सुविधाओं के बड़े दावे करने वाला डाक विभाग जमीनी स्तर पर कितनी बदहाल स्थिति में है, इसका जीता-जागता उदाहरण है गुमला जिले का सिसई प्रखंड मुख्य डाकघर. यह डाकघर 1965 में बने जर्जर एस्बेस्टस भवन में संचालित हो रहा है. करीब 60 साल पुराने इस भवन का अधिकांश हिस्सा जर्जर हो चुका है. मात्र 10×15 फीट के एक कमरे में पूरे डाकघर का संचालन किया जाता है. रैक, अलमारी, कुर्सी-टेबल और कंप्यूटर से भरे इस कमरे में कर्मचारियों को काम करना तो दूर, जरूरी कागजात निकालना भी मुश्किल होता है. वहीं ग्राहक भी असुविधा महसूस करते हैं. ग्रामीणों के जीवन में डाकघर की अहम भूमिका है. डाक सेवा, मनीऑर्डर, बचत खाता, सुकन्या योजना, पेंशन, आधार लिंकिंग, बैंकिंग और ऑनलाइन सेवाओं के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग यहां आते हैं. लेकिन भवन की बदहाली और सुविधाओं के अभाव ने डाकघर की गरिमा पर सवाल खड़ा कर दिया है. शौचालय ध्वस्त हो चुका है. नये शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से कर्मचारियों और खासकर महिला ग्राहकों को परेसानी का सामना करना पड़ता है. बाउंड्रीवॉल क्षतिग्रस्त होने से भवन और सामान भी असुरक्षित रहते हैं. बरसात में परिसर में गंदगी भर जाती है, जिससे कामकाज बाधित होता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि डाकघर गांव और कस्बे की जरूरतों का एक अहम केंद्र है. यदि नया भवन बना कर आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाये, तो न केवल जनता को राहत मिलेगी बल्कि ग्राहकों की संख्या में भी वृद्धि होगी.
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