15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

इंद मेला हमारी परंपरा, भाषा, कला व संस्कृति की पहचान

इंद पूजा महोत्सव सह सांस्कृतिक जतरा का समापन

गुमला. इंद मेला हमारे पूर्वजों की देन है. बीते सैकड़ों सालों से हर साल कई गांवों में इस जतरा का आयोजन किया जाता है, जो महज एक जतरा नहीं, बल्कि यह हमारी एकजुटता, हमारी परंपरा, भाषा, कला व संस्कृति की पहचान है. उक्त बातें जावापुप इंटरनेशनल ट्राइबल की निदेशक जयमुनी तिर्की ने इंद मेला पूजा समिति भलदम चट्टी (चंदाली) द्वारा आयोजित इंद पूजा महोत्सव सह सांस्कृतिक जतरा में कही. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास रहे कि यह परंपरा आगे भी कायम रहे. गांव के युवा बड़े-बुजूर्गों की सहायता से इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहे. उन्होंने समाज के लोगों से शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की अपील की. कहा कि समाज में अभी भी कई प्रकार के अंधविश्वास व कुरीतियां व्याप्त है. विशेषकर डायन-बिसाही जैसे अंधविश्वास के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गयी. यह नुकसान किसी और का नहीं, बल्कि हमारा खुद का है. हमारे समाज में नशापान का काफी प्रभाव है. विशेषकर युवा और अब तो बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, जिससे दूर रहने की जरूरत है. कहा कि हम शिक्षित होंगे, तो जागरूक होंगे और ऐसे अंधविश्वासों, सामाजिक कुरीतियों व नशापान से दूर रहेंगे. मौके पर समाजसेवी मिशिर कुजूर, मुखिया वीणा देवी, पूर्व जिप सदस्य सह सामाजिक कार्यकर्ता हांदू भगत, सेवानिवृत्त सैनिक रामप्रसाद उरांव, मूली पड़हा की पूर्व देवान माधुरी भगत, उपदेवान सोनो मिंज, महतो पुष्पा उरांव, प्रेमी उरांव, मेला समिति के अध्यक्ष तुरिया टोप्पो, सचिव हेमंत टोप्पो, मंगल उरांव, मनीष उरांव, सुनील पन्ना, रंगू उरांव, फिरू पहान, बहुरन प्रधान, रामेश्वर उरांव, पंसस बलदेव उरांव, माधुरी मिंज, सुमित उरांव, पूनम उरांव, मंगरा महली आदि मौजूद थे.

भगवान इंद्र की पूजा कर अच्छी फसल की करते है प्रार्थना : देवराम भगत

मुख्य वक्ता मूली पड़हा गुमला के बेल देवराम भगत ने कहा कि हमारे समाज में इंद मेला का काफी पुराना इतिहास रहा है. जहां पहान-पुजारों द्वारा इंद्र भगवान की पूजा की जाती है और उनसे अच्छी बारिश, फसल की अच्छी पैदावार और गांव की खुशहाली के लिए प्रार्थना की जाती है. इसमें गांव-गांव से लोग शामिल होते हैं. यह हमारे पूर्वजों द्वारा बनायी गयी एक अनूठी परंपरा, आपसी प्रेम और एकजुटता की पहचान है. इस पहचान को बनाये रखने की जरूरत है. उन्होंने इंद मेला के आयोजन के लिए आयोजन समिति की सराहना करते हुए कहा कि यह महज एक आयोजन समिति नहीं, बल्कि आप सभी को एकजुट रखने का एक साझा संगठन है.

आधुनिकता की बयार में बहने से बचे : गौरी किंडो

चंदाली पंचायत की मुखिया सह मूली पड़हा गुमला की रकम उर्वश गौरी किंडो ने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में हमारी आदिवासियत पर खतरा मंडरा रहा है. समाज के लोग आधुनिकता की बयार में बहे जा रहे हैं. इससे संभलने की जरूरत है, तभी हमारी पहचान बनी रहेगी. इंद मेला में विभिन्न गांवों से लगभग 30 खोड़हा दलों ने भाग लिया. खोड़हा दलों में शामिल लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा में मांदर व नगाड़ा की थाप और झांझर की धुन पर अपनी कला का प्रदर्शन किया. मेला आयोजन समिति की ओर से सभी खोड़हा दलों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. इससे पूर्व पहान-पुजारों द्वारा पूजा करायी गयी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel