36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

गुड़िया देवी का भरा-पूरा परिवार, फिर भी 4 दिनों तक लावारिस पड़ा रहा शव, गुमला प्रशासन ने दफनाया

jharkhand news: टीबी बीमारी से पीड़ित गुड़िया देवी को मौत के बाद भी परिजनों का कंधा नसीब नहीं हुआ. गुमला सदर हॉस्पिटल में गुड़िया का शव लावारिस हालत में पड़ा रहा, लेकिन परिवार वाले सुध तक नहीं लिये. आखिरकार जिला प्रशासन ने उसके शव को दफनाया.

Jharkhand news: यह मार्मिक कहानी गुड़िया देवी की मौत की है. गुड़िया देवी, जो प्रभात खबर में समाचार छपने के बाद सुर्खियों में आयी थी. सरकार से लेकर प्रशासन तक समाचार छपने के बाद हरकत में आया. लेकिन, जब गुड़िया की मौत हुई, तो परिजन शव से दूर रहे. ईश्वर से प्रार्थना है कि इस प्रकार की घटना किसी के साथ न हो. 4 दिनों तक गुड़िया का शव पड़ा रहा, लेकिन परिजनों ने कोई सुध नहीं ली. आखिरकार गुमला प्रशासन ने उसकी शव को दफनाया.

क्या है मामला

गुमला शहर की गुड़िया देवी की मौत इलाज के क्रम में सदर अस्पताल, गुमला में चार दिन पहले हो गयी. गुड़िया का भरा-पूरा परिवार है. इसके बाद भी गुड़िया का शव 4 दिनों तक अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में लावारिस हालत में पड़ा रहा. परिजन शव को देखने तक नहीं गये. सिर्फ पति बजरंग नायक शव को देखने गया, लेकिन बजरंग के पास शव के अंतिम संस्कार के लिए पैसा नहीं था. इसलिए वह शव को अस्पताल से घर नहीं ले गया. शव को अस्पताल में छोड़ दिया. अस्पताल प्रबंधन ने शव को लावारिस मानते हुए इसे पोस्टमार्टम हाउस में रख दिया. साथ ही इसकी सूचना गुमला पुलिस को दी गयी. पुलिस ने 3 दिनों तक परिजनों का इंतजार किया, लेकिन शव को ले जाने परिजन नहीं पहुंचे. अंत में शुक्रवार को गुमला पुलिस ने नगर परिषद की मदद से गुड़िया के शव को दफनवा दिया.

नगर परिषद ने दफनाया शव

गुमला शहर के आंबेदकर नगर निवासी गुड़िया देवी के शव को पुलिस प्रशासन ने नगर परिषद द्वारा दफन कराया. शव दफनाने के लिए नगर परिषद के ट्रैक्टर चालक आनंद बाड़ा, कर्मी पीटर तिर्की, बुचवा उरांव व बंधन उरांव थे. जिन्होंने शव को लेकर पालकोट रोड स्थित श्मशान घाट में दफन किया.

Also Read: Jharkhand news: नक्सली संगठन JPC के सबजाेनल कमांडर समेत 5 नक्सली गिरफ्तार, पुलिस ने 3 रायफल किया बरामद

सरकार ने लिया था संज्ञान

गुड़िया देवी का अपना घर नहीं है. वह आंबेडकर नगर में सड़क के किनारे रहती थी. प्रभात खबर में दो माह पहले खबर छपी थी. इसके बाद सरकार ने मामले में संज्ञान लिया. प्रशासन ने गुड़िया को आश्रय गृह में रखा. लेकिन, गुड़िया वर्षों से टीबी बीमारी से पीड़ित थी. प्रशासन ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया. जहां उसका इलाज चल रहा था और चार दिन पहले उसकी मौत हो गयी थी.

दो बच्चे सिमडेगा व एक चैरिटी में

प्रभात खबर में समाचार छपने के बाद प्रशासन ने गुड़िया के दो बच्चों को बिहार के ईंट भट्ठे से मुक्त कराया था. जिसे गलत जानकारी के कारण गुमला सीडब्ल्यूसी ने सिमडेगा जिला के सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया. वहीं, गुड़िया के नवजात बेटे को जो एक दंपती दिल्ली में पाल रहे थे. उसे भी दिल्ली से लाकर चैरिटी, गुमला को सौंप दिया. तीनों बच्चों से गुड़िया मिलना चाह रही थी, लेकिन जीते जी वह नहीं मिल पायी.

नवजात बच्चे से गुड़िया को दूर रखा

पूर्व वार्ड पार्षद कृष्णा राम ने कहा कि 4 अप्रैल को गुड़िया देवी की मौत सुबह 9 बजे अस्पताल में हुई, लेकिन परिवार के लोग गरीबी एवं लाचारी में शव को अपने घर नहीं ले गये. चूंकि अंतिम संस्कार के लिए पैसा नहीं था. प्रशासन ने शव का अंतिम संस्कार कराया. श्री राम ने कहा कि गुड़िया देवी का एक बेटा है. जिसे अच्छी परवरिश के लिए गुड़िया ने गुमला की एक दंपती को दिया था. दंपती दिल्ली में रहकर काम करते हैं और गुड़िया के नवजात बेटे की अच्छी परवरिश कर रहे थे. लेकिन, दिल्ली से दंपती को गुमला बुलाया गया. मुकदमा करने की धमकी देकर बच्चे को ले लिया. सीडब्ल्यूसी की गलत नीति के कारण नवजात बच्चा ना तो अपनी मां की गोद में रह सका और ना ही गोद लिए मां के पास रहा. अभी वह चैरिटी में है जबकि गुड़िया कई बार अपने बच्चे से मिलना चाही, लेकिन उसे बच्चे को दिखाया तक नहीं गया.

Also Read: झारखंड के लोहरदगा में लाखों की लकड़ी बरामद, वन विभाग ने पिकअप वैन को किया जब्त, ड्राइवर फरार

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें