प्रतिनिधि, गुमला गुमला से तीसरे दिन भी यात्री बसें दूसरे जिलों के लिए नहीं चली. गुमला बस ओनर एसोसिएशन अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है और बसों का परिचालन ठप किये हुए हैं. वहीं जिला प्रशासन द्वारा बसों का परिचालन शुरू कराने की पहल नहीं किया जा रहा है. जिस कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दूसरी तरफ बसें नहीं चलने से ललित उरांव बस पड़ाव में संचालित 100 से अधिक दुकानदारों का व्यवसाय ठप हो गया है. तीन दिनों से दुकानें भी बंद पड़ी हुई है. गुमला बस ओनर एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवप्रसाद सोनी ने कहा है कि बसों के परिचालन के ठप हुए रविवार को तीन दिन हो गया. परंतु, गुमला प्रशासन के किसी अधिकारी ने अबतक हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है. न ही अधिकारी वार्ता के लिए आगे आ रहे हैं. जिस कारण गुमला बस ओनर एसोसिएशन अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है. उन्होंने कहा है कि अगर दुंदुरिया बस स्टैंड को पुन: ललित उरांव बस पड़ाव में शिफ्ट नहीं किया जाता है, तो यह आंदोलन जारी रहेगा. लोहरदगा रूट की बसों के लिए दुंदुरिया में बस स्टैंड बनाये जाने का यह आंदोलन अब बड़ा रूप ले सकता है. इधर, चेंबर ऑफ कामर्स ने कहा है कि हमलोगों ने प्रशासन को दो दिन का समय दिया है. एक दिन गुजर गया. अगर तीन नवंबर को इस समस्या का समाधान नहीं होता है, तो चार या चार नवंबर को चेंबर भी गुमला बस ओनर एसोसिएशन के समर्थन में उतरकर गुमला बंद कर सकता है. यात्रियों के जेब कट रहे हैं बसों का परिचालन ठप होने से छोटी गाड़ियों की चांदी हो गयी है. यात्रियों को चार से पांच गुना अधिक भाड़ा देकर सफर करना पड़ रहा है. जहां घाघरा का भाड़ा गुमला से 50 रुपये है. वहीं बसों के हड़ताल से अब घाघरा का भाड़ा छोटी गाड़ियां एक सौ से दो सौ रुपये तक वसूल रहे हैं. जिससे यात्रियों के जेब से मोटी रकम कट रहा है. कई लोग दुंदुरिया बस स्टैंड का समर्थन किये हैं इधर, कई लोग हैं जो दुंदुरिया में लोहरदगा व घाघरा रूट के लिए बस स्टैंड बनाये जाने का समर्थन किया है. लोगों ने कहा है कि शहर का विस्तार होना चाहिए. साथ ही जिस प्रकार गुमला शहर में वाहनों का दबाव बढ़ा है. अब तो शहर से बस पड़ाव को शहर से दो से तीन किमी की दूरी पर ले जाना चाहिए. जिससे शहर का विस्तार होगा. रोजगार के अवसर भी खुलेंगे. वहीं दुंदुरिया के लोगों ने कहा है कि पुराना बस डिपो जो दुंदुरिया में है. यही बस पड़ाव सही मायने में ठीक है. क्योंकि, यह पुराना बस पड़ाव है. ललित उरांव बस पड़ाव तो बाद में बनी है. इसलिए दुंदुरिया से ही लोहरदगा व घाघरा रूट की बसें छूटे.
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