आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला
बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य और सड़क की स्थिति बदहाल
गुमला : आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त करने वाले मुरगु गांव में किसी तरह की बुनियादी सुविधा नहीं है. गांव में न तो बिजली है और न ही पेयजल की सुविधा. चिकित्सीय सुविधा प्राप्त करने के लिए ग्रामीणों को 12 से 25 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है.
गांव की सड़कें बदहाल है. मुरगु को वर्ष 2006 में तत्कालीन डीसी आराधना पटनायक के कार्यकाल के दौरान आदर्श ग्राम का दर्जा मिला. इसके बाद वर्ष 2014 आ गया, लेकिन अब भी गांव की स्थिति जस की तस है. गांव के ग्रामीण विगत दो वर्षो से पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. हालांकि गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए दो पानी की टंकियां बनी हैं. लेकिन विगत दो वर्षो से वे दोनों टंकियां भी केवल नाम की पानी टंकी बन कर रह गया है.
टंकी से पानी का सप्लाइ नहीं होता है. पीएचइडी विभाग द्वारा लगाया गया चापानल भी खराब हो चुका है. वीर शहीद तेलंगा खड़िया की जन्मस्थली मुरगु गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. बिजली समस्या से भी लोग परेशान हैं. एसटी आयोग के चेयरमैन डॉ रामेश्वर उरांव व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव का दौरा गांव में हो चुका है.
दोनों ने नया ट्रांसफारमर लगवाने का आश्वासन दिया था. गांव में स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है. मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त करने के लिए 12 किमी की दूरी तय कर सिसई अथवा 25 किमी की दूरी तय कर गुमला का दौड़ लगाना पड़ता है.
नहीं बनी नर्सरी
ग्रामीण कृषि कार्य पर निर्भर हैं. गांव में मनरेगा की स्थिति भी ठीक नहीं है. काम नहीं मिलने के कारण गांव के लोग पलायन कर रहे हैं. कृषि विकास के लिए कृषि व बागवानी विभाग झारखंड सरकार द्वारा तीन वर्ष पूर्व लगभग सात लाख रुपये ग्राम उत्थान संस्थान को दिया गया. ताकि नर्सरी का निर्माण कर कृषकों का रूझान कृषि कार्य में बढ़ाया जा सके. लेकिन नर्सरी के नाम पर सिर्फ एक तंबू गाड़ कर छोड़ दिया गया है. जहां किसी प्रकार का पौधा नहीं लगाया गया.