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:1:::: 27 साल बाद मां का मुंह देखी सारिका

:1:::: 27 साल बाद मां का मुंह देखी सारिका मां से मिलने 27 साल बाद जर्मनी से गुमला पहुंची सारिका17 दिसंबर को जन्म दिन है. मां का आशीर्वाद लेने पहुंची.12 गुम 4 में जर्मनी की दत्तक मां के साथ सारिका.प्रतिनिधि, गुमलागुमला के डुमरी में जन्मी सारिका खास 27 साल बाद अपनी मां का मुंह देखी. […]

:1:::: 27 साल बाद मां का मुंह देखी सारिका मां से मिलने 27 साल बाद जर्मनी से गुमला पहुंची सारिका17 दिसंबर को जन्म दिन है. मां का आशीर्वाद लेने पहुंची.12 गुम 4 में जर्मनी की दत्तक मां के साथ सारिका.प्रतिनिधि, गुमलागुमला के डुमरी में जन्मी सारिका खास 27 साल बाद अपनी मां का मुंह देखी. सारिका जर्मनी (विदेश) में रहती है. 1987 ई में जन्मी सारिका का दिल मां से मिलने को तड़पने लगा तो वह शनिवार को जर्मनी से गुमला पहुंची. वह सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) के सहयोग से डुमरी प्रखंड जाकर अपनी मां से मिली. शुरू में उसकी मां सारिका को पहचान भी नहीं सकी. लेकिन जब उसे बताया गया कि वह उसी की बेटी है, तो वह खुशी से उसे गले लगा ली. सारिका ने पांव छूकर मां से आशीर्वाद ली. चूंकि सारिका अंगरेजी में बात कर रही थी तो परिजनों को समझ नहीं आया. रांची से एक सहयोगी आयी हुई थी. जो अंगरेजी को हिंदी में अनुवाद कर मां व बेटी की आपस में बात करा रहे थे. लगभग एक घंटे तक सारिका अपनी मां के घर रही. परिजनों से मिली. गांव भी घूमी. इसके बाद देर शाम को वे लोग रांची लौट गये. रविवार को जर्मनी के लिए रवाना होंगे. सारिका ने जाने से पहले कहा कि वह दोबारा आयेगी. जन्म दिन से पहले लेने पहुंची आशीर्वाद17 दिसंबर को सारिका का जन्म दिन है. उसने जर्मनी में रहनेवाली अपनी दत्तक मां जेनेत खास से अपनी जन्म देनेवाली मां से मिलने की इच्छा जतायी. जेनेत ने पहले पुणे की सखी संस्था की अंजलि पवार से बात की. जुलाई माह में अंजलि गुमला आयी थी. उसने सारिका के परिजनों का घर सीडब्ल्यूसी से मिल कर पता की. इसके बाद सारिका शनिवार को पहुंची. सारिका ने कहा कि वह अपनी मां को देखने व जन्मदिन का आशीर्वाद लेने पहुंची थी.विदेशी दंपती ने गोद लिया थासारिका का जन्म जब हुआ तो गरीबी के कारण उसके परिजन पालने में असमर्थ थे. इसलिए सारिका को मिशनरी ऑफ चैरिटी को समर्पित कर दिया. 1988 में जर्मनी की विदेशी दंपती ने सारिका को चैरिटी से गोद लिया. जेनेत ने कहा : बचपन में जब उसे चैरिटी में देखा तो वह काफी हंसमुख थी. इसलिए उसे गोद ले लिया. बताया जा रहा है कि जेनेत जर्मन की काफी धनी संपन्न परिवार से है. सारिका को उसने अपनी बेटी की तरह शिक्षा व परवरिश की है.

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