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Friday, March 29, 2024

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आजाद भारत में मजबूत होती नारियां, गुमला जिले की 1.44 लाख महिलाएं प्रगति की राह पर

जगरनाथ, गुमला 15 अगस्त यानि जश्न ए आजादी का दिन. अगर हम आजाद भारत में मन रही खुशियों की बात करें और मजबूत होते भारत पर गौर करें तो महिलाओं की मजबूती की भी बात होनी चाहिए. क्योंकि आजाद भारत में महिलाएं मजबूत हुई हैं. खासकर गुमला जिले की महिलाएं दिन ब दिन मजबूत हो […]

जगरनाथ, गुमला

15 अगस्त यानि जश्न ए आजादी का दिन. अगर हम आजाद भारत में मन रही खुशियों की बात करें और मजबूत होते भारत पर गौर करें तो महिलाओं की मजबूती की भी बात होनी चाहिए. क्योंकि आजाद भारत में महिलाएं मजबूत हुई हैं. खासकर गुमला जिले की महिलाएं दिन ब दिन मजबूत हो रही हैं. कल तक जो गुमला नक्सलवाद से जूझ रहा था. यहां की महिलाएं विकास के लिए तड़प रही थी. अब यह सब कल की बात बनकर रह गयी है. अगर हम तुरंत की बात करें तो अब महिलाएं हर क्षेत्र में मजबूत हो रही हैं.

गुमला जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की एक लाख 44 हजार महिलाएं आजीविका से जुड़कर अपने घर-परिवार और गांव को विकसित करने में लगी हुई हैं. ये सभी 1.44 लाख महिलाएं अपने गांव के किसी ने किसी सखी मंडल से जुड़ी हुई हैं. पूरे जिले भर में लगभग 11 हजार सखी मंडल हैं. सभी ग्रामीण महिलाओं को सखी मंडल से जोड़ने का काम जिले में झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित जेएसएलपीएस (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी) ने किया है.

पूरे जिले में 948 राजस्व ग्राम हैं. जिसमें 926 गांवों में सखी मंडल संचालित है. इन महिलाओं की आजीविका का साधन कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, छाता, मशाला, पापड़, आचार व घरेलू सजावटी वस्तुओं का निर्माण, टेंट कार्य जैसे कई व्यवसाय हैं. ऐसे देखा जाये तो अधिकांश सखी मंडल कृषि और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़ी हुई हैं. इसके अलावा सखी मंडल से जुड़ी प्रत्येक महिला के घर-परिवार के भी कुछ सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. जो सखी मंडल के कई कार्यों में हाथ बंटाकर अपना मेहनताना प्राप्त कर रहे हैं.

11 हजार सखी मंडलों में कुछ सखी मंडल ऐसी भी हैं, जो सक्रिय रूप से मंडल के माध्यम से कोई व्यवसाय नहीं कर रही हैं. परंतु जो सखी मंडल सक्रिय रूप से आजीविका के क्षेत्र में काम कर रही हैं. उनका सालाना बचत 50 से 60 हजार रुपये है. गुमला जिला के रायडीह व डुमरी प्रखंड में संचालित सखी मंडल मुर्गी पालन और सिसई व भरनो प्रखंड की महिलाएं किसानी कार्य में काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं.

बैंक इन प्रखंडों के सखी मंडल को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग कर रहे हैं. बैंक द्वारा पांच-पांच लाख रुपये तक लोन दिया गया है. जिससे सखी मंडल की महिलाएं अपने व्यवसाय में विस्तार करने में लगी हुई हैं. बैंक से पहली बार लोन लेने के बाद समय पर लोन का पूरा पैसा वापस करने पर बैंक द्वारा दूसरी बार में दोगुणा लोन प्राप्त कर सकते हैं. रायडीह, डुमरी, सिसई व भरनो प्रखंड की महिलाओं ने बैंक के इस नीति को समझा और समय पर लोन का पैसा चुकाकर अब पांच लाख रुपये तक लोन प्राप्त कर रही हैं.

सखी मंडल के अलावा जिले की लगभग 23 हजार किसान महिलाएं सरकार द्वारा चलायी जा रही जोहार कार्यक्रम के अंतर्गत भी आजीविका से जुड़ी हुई हैं. इन 23 हजार किसान महिलाओं के अलावा और सात हजार किसान महिलाओं को भी कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा. जोहार कार्यक्रम के तहत जिले की किसान महिलाओं के लिए सिंचाई योजना लिफ्ट एरिगेशन के साथ उन्नत खेती, वनोपज, मत्स्य पालन और पशुपालन योजना चल रहा है. जिसमें 23 हजार महिलायें सक्रिय रूप से जुड़कर कार्य कर रही हैं.

जोहार कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन और जिले की महिला किसानों के लक्षित समूह को कार्यक्रम से जोड़ने के लिए जेएसएलपीएस ने छह प्रखंडों में 418 उत्पादक समूह और दो फारमर प्रोड्युसर कंपनी का गठन किया है. गुमला में रायडीह, गुमला व घाघरा प्रखंड और पालकोट में सिसई, पालकोट व बसिया प्रखंड के कंपनी का गठन किया है. जो महिला किसानों को नर्सरी से पौधा उपलब्ध कराने से लेकर उत्पादित होने वाले उत्पादनों के लिए बाजार तक उपलब्ध कराने का काम कर रहा है.

10 हजार और महिलाएं जुड़ेंगी सखी मंडल से

दूसरे की तरक्की देखकर हर किसी में आगे बढ़ने की चाह होती है. ऐसी ही चाह गुमला जिले के सदर प्रखंड गुमला सहित कामडारा, चैनपुर, डुमरी व जारी प्रखंड क्षेत्र की लगभग 10 हजार महिलाओं ने भी दिखायी है. इन महिलाओं को भी सखी मंडल से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है. जल्द ही ये 10 हजार महिलाएं या इससे भी अधिक महिलाएं सखी मंडल की सदस्य होंगी और आजीविका से जुड़ेंगी.

जेएसएलपीएस की डीपीओ मनीषा सांचा ने बताया कि सखी मंडल से जुड़ने वाली महिलाओं की संख्या 10 हजार से भी अधिक हो सकती है. इन महिलाओं के लिए लगभग 800 सखी मंडल बनाया जायेगा. जेएसएलपीएस की डीपीएम मनीषा सांचा ने बताया कि गांवों में सखी मंडल का गठन कर जेएसएलपीएस मंडल की सदस्यों को पणसुत्र के नियमों की जानकारी देकर आजीविका से जुड़ने में सहयोग कर रहा है.

व्यवसाय के गुर हो या लेनदेन का हिसाब-किताब. महिलाओं को सभी में पारंगत होना जरूरी है. मंडल गठन के बाद मंडल को विश्व बैंक द्वारा प्रथम तीन माह में चक्रीय निधि के तहत 15 हजार रुपये उपलब्‍ध कराया जाता है. जिससे महिलाएं एक रोजगार शुरू करती हैं. बाद में महिलाएं जिस व्यवसाय में रूचि लेती हैं.

उसी हिसाब से उन्हें बैंक के माध्यम से लोन दिया जाता है. आधे से भी अधिक सखी मंडलों का बैंक से लिंकेज हो गया है. शेष का लिंकेज कराने का काम चल रहा है. बैंक से लिंक होने के बाद सभी नये लिंकेज सखी मंडल को 50 करोड़ रूपये बतौर लोन दिया जायेगा. डीपीएम ने बताया कि सखी मंडल और जोहार कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की जरूरतों को पूरा कर रहा है और महिलाएं क्षेत्र के विकास में सहभागी बन रही हैं.

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