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जीवन बचाने के लिए 24 घंटे तैयार रहते हैं युवा ग्रुप के ब्लड डोनर

सैकड़ों जरूरतमंदों को टीम ने रक्त देकर बचायी है जान

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लोगों के जीवन को बचाने में ब्लड की जरूरत सबसे पहले है. शरीर रक्त के बिना कुछ देर भी नहीं टिक सकता है. हालांकि मानव शरीर में रक्त के बनने व उसके प्रवाह की नैसर्गिक संरचना पर ही आधारित है. रक्त के मानव शरीर में बनकर उसी शरीर के संचालन में मदद करता है. मगर जब कभी मनुष्य को रक्त की जरूरत पड़ती है, तो फिर दूसरे पर निर्भरता बढ़ जाती है. वर्तमान समय में लोगों के बीच ब्लड की जरूरत पड़ने पर अफरा-तफरी मच जाती है. रक्त उपलब्धता के बाद जरूरतमंद को जीवन मिल जाता है. मगर कम ही लोग हैं, जो आसानी से किसी को भी ब्लड डोनेट कर पाते हैं. मुश्किल के समय में आगे बढ़कर रक्तदान करने वालों की समाज में काफी सम्मानित नज़रिए से देखा जाता है. गोड्डा में भी जरूरत पड़ने पर आगे बढ़कर ब्लड डोनेट करने वाले ऐसे ही युवाओं की टीम ने सैकड़ों लोगों को समय पर रक्तदान कर लाइफ बचाने का काम किया है. गोड्डा के सरकंडा चौक पर ‘युवा ब्लड डोनर ग्रुप’ के नाम से युवाओं की टीम ने लगातार लोगों के लिए जीने का काम किया है. इस ग्रुप में सौ से भी ज्यादा युवाओं की फौज है, जो केवल एक कॉल पर 24 घंटे ब्लड डोनेट करने पहुंच जाते हैं. इसके टीम लीडर प्रीतम कुमार हैं, जो पूर्व से ही सामाजिक कार्य से जुड़े हैं. उनके साथ अनंत कुमार झा, कृष्णकांत यादव, राज कारण भगत भी हैं, जो सहयोगी के तौर पर काम करते हैं. लगातार चार वर्षों से गोड्डा में डोनर ग्रुप सक्रिय भूमिका में हैं. इस ग्रुप में युवाओं की टीम में सरकंडा, पड़ूंबथान, तरवारा, रतनपुर, नूनबट्टा, पुनसिया, धर्मूडीह, मोतिया, डुमरिया, सैदापुर, रंगमतिया आदि गांव के युवा जुड़े हैं. ग्रुप के युवा किसी भी ग्रुप के ब्लड की जरूरत पड़ने पर एक कॉल पर रक्तदान करने पहुंच जाते हैं. जिले के सभी ग्रुप के साथ संगठनों के पास युवा ब्लड डोनर ग्रुप के लोगों का मोबाइल नंबर उपलब्ध है. ऐसे युवाओं ने ना केवल गोड्डा बल्कि झारखंड के जिले से लेकर बिहार के भी जिले में ब्लड डोनेट को लेकर लोगों की सहजता से व्यवस्था करते हैं. गोड्डा के ऐसे युवा ब्लड डोनर के पहल को लोगों का सैल्यूट रहता है.

ब्लड डोनेशन की प्रेरणा उन्हें आज से करीब चार साल पूर्व मिली. अपने खास लोगों को रक्त की दुर्घटना के दौरान जरूरत पड़ जाने के बाद इसके लिए काफी परेशान होना पड़ा था. घंटों परेशानी के बाद किसी तरह लोग रक्त देने को तैयार हुए. ब्लड तो मिला, मगर इस बात को लेकर गांठ बांध लिया औैर तभी से ग्रुप बनाकर जरूरतमंद के बीच ब्लड डोनेट करना आरंभ किया. हालांकि ब्लड डोनेशन को लेकर आज भी लोगों में भ्रांतियां हैं, जिसे दूर किए बिना बेहतर ब्लड डोनेशन की बात किया जाना संभव नहीं है.

-प्रीतम कुमार, ग्रुप लीडर, युवा ब्लड डोनर ग्रुपB

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