लॉकडाउन के पांच साल. कोविड की भयावहता के बाद भी सबक नहीं सीख सका विभाग
प्रतिनिधि, गोड्डाकोविड महामारी के दौरान ऑक्सीजन की कमी ने न जाने कितनी जिंदगियों को असमय छीन लिया. अस्पतालों में बेड खाली थे, लेकिन ऑक्सीजन की कमी से मरीजों को बचाना मुश्किल हो गया था. उस दौर की भयावह तस्वीरें आज भी रूह कंपा देती हैं. इसी कड़वे अनुभव से सीख लेते हुए भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराने के लिए करोड़ों की लागत से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किये गये. लेकिन अफसोस, गोड्डा सदर अस्पताल में मंगाया गया लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट बिना इंस्टॉलेशन के ही बेकार पड़ा है. क्या यह विभाग की लापरवाही की मिसाल नहीं. या फिर विभाग उसी गलती की ओर बढ़ रहा है, जिसका नुकसान हमें अपनों को खोकर हुआ. सवाल उठ रहा है कि, क्या स्वास्थ्य महकमा सच में कोविड से सबक नहीं सीख पाया या फिर उसे अगली आपदा का इंतजार है.
### करोड़ों की लागत से खरीदा गया प्लांट, जंग खाकर हो रहा बेकारगोड्डा जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक साल पहले लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट मंगाया गया था. यह प्लांट अत्याधुनिक तकनीक से लैस था और इसमें लिक्विड से ऑक्सीजन तैयार करने की क्षमता थी. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने लंबे समय के बावजूद इसे इंस्टॉल नहीं किया गया. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह करोड़ों की लागत वाला प्लांट जंग खा रहा है और किसी काम का नहीं है. कोविड के दौरान जब हर सांस की कीमत समझ में आई थी, तब आनन-फानन में इस प्लांट की खरीद तो कर ली गई, लेकिन कंपनी ने इसे अस्पताल में छोड़ दिया और इंस्टॉलेशन किए बिना ही चली गई. अब एक साल से अधिक समय बीत चुका है और प्लांट यूं ही बेकार पड़ा है. अगर इसे समय पर चालू कर दिया जाता, तो यह ऑक्सीजन संकट से निपटने में कारगर साबित हो सकता था.
—पीएम केयर फंड से लगा प्लांट बना संजीवनी, फिर भी सवाल बरकरार
गोड्डा सदर अस्पताल में कोविड के चरम दौर में पीएम केयर फंड से ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था. तत्कालीन डीसी भोर सिंह यादव की देखरेख में 2021 में इस प्लांट को तेजी से इंस्टॉल किया गया. आज यही प्लांट अस्पताल के मरीजों के लिए जीवनदायिनी बन चुका है. इसकी मदद से पूरे अस्पताल में पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. यहां तक कि जंबो सिलिंडरों में भी इसी प्लांट से गैस भरी जाती है, जिससे इमरजेंसी में ऑक्सीजन की कमी महसूस नहीं होती. लेकिन सवाल यह है कि जब पीएम केयर फंड से लगे प्लांट को इतनी तत्परता से स्थापित किया जा सकता था, तो लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के इंस्टॉलेशन में देरी क्यों हो रही है.—
कोविड के दौरान अदाणी पावर प्लांट और रेडक्रॉस की अहम भूमिकाकोविड के दौर में जब ऑक्सीजन की कमी ने त्राहिमाम मचा रखा था, तब अदाणी पावर प्लांट और रेडक्रॉस जैसी संस्थाओं ने मदद का हाथ बढ़ाया. अदाणी पावर प्लांट ने कोविड डेडिकेटेड वार्ड में ऑक्सीजन पाइपलाइन इंस्टॉल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रेडक्रॉस सोसाइटी ने 10-15 जंबो सिलेंडर अस्पताल को उपलब्ध कराए, जिससे मरीजों की जान बचाने में मदद मिली. यह सहयोग यह दिखाता है कि जब सिस्टम फेल होने लगता है, तो समाज के अन्य वर्ग मदद के लिए आगे आते हैं. लेकिन क्या यह विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करे और ऐसी स्थिति दोबारा न आने दे.
—स्वास्थ्य विभाग कब लेगा जिम्मेदारी
गोड्डा सदर अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट का बेकार पड़ा रहना सिर्फ एक मशीन का जंग खाना नहीं है, बल्कि यह सिस्टम की विफलता को उजागर करता है. कोविड काल में हमने देखा कि ऑक्सीजन के बिना मरीजों को कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ा. उस समय भी अव्यवस्था के कारण लोग अपनी जान गंवा बैठे, और अब जब भविष्य के लिए तैयारियां की गईं, तो उन्हें पूरा करने में ही लापरवाही बरती जा रही है. स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि जल्द से जल्द इस प्लांट को इंस्टॉल करवाए, ताकि भविष्य में ऑक्सीजन की कमी से किसी की जान न जाये.……………………………………..
लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट को भी कोविड के दौरान ही क्रय किया गया था. कंपनी को इस प्लांट को इंस्टॉल करना था, जो नहीं हो पाया है. बार-बार कंपनी को नॉक किया जा रहा है. इस दिशा में जिला स्वास्थ्य विभाग सक्रिय है. इस मामले में फिर पत्राचार किया जाएगा. फिलहाल उनके यहां आक्सीजन की कमी कहीं भी नही हैं. लगाया गया प्लांट सुचारू रूप से काम कर रहा है.-डॉ अनंत कुमार झा, सिविल सर्जन गोड्डा
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