इसकी खरीदी के लिए गिरिडीह शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों के लोग पहुंचते हैं. इस साप्ताहिक हाट में खाद्य सामाग्रियों के अलावे वस्त्र, पशु-पंक्षी, जड़ी-बूटी, खेती की सामाग्री, फसलों का पौधा व बीज, फल-सब्जी, साबून, अगरबत्ती, मसाले, घरेलू सामान सहित विभिन्न सामाग्रियों की दुकानें सजती है. अहम बात यह है कि हरेक सामाग्रियों के बेचने के लिए स्थल निर्धारित है, जहां पर आकर व्यापारी व दुकानदार दुकान लगाकर रखते हैं. ताकि खरीदारी करने आने वाले लोगों को सहूलियत हो सके. साप्ताहिक हाट के दिन रविवार को नगर निगम का बाजार परिसर में सुबह से लेकर शाम तक गहमागहमी की स्थिति रहती है. मुख्य सड़क पर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है, जो कि आवागमन करने वालों के लिए परेशानी का सबब बनता है. त्योहारों और किसी खास उत्सव के दिनों में खरीदारों की भीड़ ज्यादा उमड़ती है. अपनी आवश्यक वस्तुएं खरीदनें के लिए यहां पर लोग एकत्रित होते हैं. बता दें कि यहां पर साप्ताहिक हाट के अलावे यहां पर प्रत्येक दिन सब्जियों व फलों की दुकान लगती है.
स्थानीय उत्पादकों को बेचने का मिलता है अवसर
साप्ताहिक हाट में दुकान लगाने वाले दुकानदारों का कहना है कि यहां पर स्थानीय उत्पादकों को बेचने का अवसर मिलता है. दिलीप राम, खेवन वर्मा, मनोहर वर्मा, दिवयंती देवी ने बताया कि वेलोग सप्ताह में यहां पर आकर दुकान लगाते हैं. लोगों को ताजी सब्जियों को खरीदने का लाभ मिलता है. बेगन, फूल गोभी आदि सब्जियों का पौधा मिलता है, जिसे लोग खरीदकर अपने-अपने घरों के बगान में लगाते हैं. यह बाजार स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देता है. संजय कुमार ने कहा कि यह बाजार सस्ते दाम पर सामान प्रदान करता है, जिससे लोगों को आर्थिक लाभ मिलता है.उपयोगी जड़ी-बूटी की सजती है दुकान
साप्ताहिक हाट में उपयोगी जड़ी-बूटी की दुकान सजती है. इस संबंध में जड़ी-बूटी के दुकानदार पालगंज निवासी छोटू टुडू ने बताया कि वह पारसनाथ के जंगल से जड़ी-बूटी लाकर यहां पर बेचते हैं. यह जड़ी-बूटी व इससे बने तेल हड्डी रोग सहित अन्य रोगों के निदान में काफी फायदेमंद होता है. वह प्रत्येक रविवार को यहां पर दुकान लगाते हैं. जरूरतमंद लोग उनके दुकान पर पहुंचते हैं. इसी की कमाई से परिवार चल रहा है. इनके अलावे कुछ अन्य लोग भी जड़ी-बूटी बेचते हैं.सूखी मछलियों की लगती है दुकान
यूं तो आम लोगों की पहली पसंद जिंदा और ताजी मछली होती है, जिसकी खरीदारी कर लोग बड़े ही चाव से खाते हैं. लेकिन इससे इतर सूखी मछलियों को खाने वालों की भी संख्या कम नहीं है. इस हाट में विभिन्न प्रकार की छोटी-छोटी सूखी मछलियों की दुकान लगती है. दुकानदार सभी सूखी मछलियों का छोटा-छोटा ढेर लगाकर एक ही स्थान पर बेचते हैं. बताया गया कि कई लोग इसे खरीदकर ले जाते हैं. इनमें से कुछ मछलियों को बंगाल से मंगाया जाता है. इसके अलावे बकरा का भी बाजार लगता है. खासकर लग्न और त्योहारों के वक्त व्यापारियों द्वारा काफी संख्या में बकरा व खस्सी लाकर बेचा जाता है. दूसरे प्रदेशों से आने वाले व्यापारियों के अलावे स्थानीय स्तर के लोग भी बकरा लाकर बेचते हैं. देहाती बकरा की मांग काफी रहती है. लोग देहाती बकरा की खरीदारी करने के दौरान अपने साथ जानकार व्यक्ति को अवश्य रखते हैं. यहां पर बार्गेनिंग भी खूब होती है.तीन साल के लिए 54 लाख में हुआ है निगम बाजार की बंदोबस्ती
साप्ताहिक हाट लगने वाले स्थल नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत पड़ता है. नगर निगम की ओर से इसकी बंदोबस्ती की जाती है. नगर निगम के शंभू सिंह ने बताया कि नगर निगम बाजार की बंदोबस्ती तीन साल के लिए लगभग 54 लाख रूपये में की गई है. इस बाजार की साफ-सफाई का काम संवेदक के अधीन है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

