कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीसी ने कहा कि ग्रामीणों को अब वनोपज का मलिकाना हक मिलेगा. इसके लिए प्रशासन ने सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज सहकारी संघ का गठन कर अनुसूचित जनजाति एवं ग्रामीणों को वनोपज उत्पादन एवं संग्रहित उत्पादों का उचित पारिश्रमिक दिलाने की कवायद शुरू की है. इसमें कृषि एवं वनोपज जैसे धान, गेहूं, सब्जी, फल, कुटकी, सरगुज, चिरौंजी, नट चिरोता, आवला, बीड़ी पत्ता, महुआ, करंज, हरे, बहेरा, रेशम, तसर, लाह आदि का उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण, अनुसंधान तथा विकास की विभिन्न गतिविधियों को सहकारी आधार पर संगठित किया जायेगा. क्रय-विक्रय की ऐसी व्यवस्था होगी, जिसमें सदस्यों को सर्वोत्तम लाभ मिल सके. विभागीय संकल्प के अनुसार सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ का गठन किया गया है. इसका दायित्व है कि कृषि एवं अनुसंगी गतिविधियों तथा वनोपज के व्यापार से ठेकेदारी प्रथा पूर्ण रूप से समाप्त करना है. अनुसूचित जनजाति एवं ग्रामीणों को अब वनोपज का सीधा लाभ मिलेगा.
सशक्तीकरण के लिए सिडकोफेड के कार्यकलापों की सराहना की
डीसी ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के लक्ष्य को प्राप्ति करने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही उन्होंने कृषि एवं वनोपज के माध्यम से सशक्तीकरण के लिए सिडकोफेड के कार्यकलापों की सराहना की.वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा:
वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा कि सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज जिला सहकारी संघ लिमिटेड (सिद्धकोफेड) एक राज्य स्तरीय शीर्ष सहकारी संस्थान है, जो कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (सहकारिता प्रभाग) झारखण्ड सरकार से निबंधित है. उन्होंने कहा कि इसका दायित्व कृषि एवं वनोपज की खरीद, भंडारण, प्रसंस्कारण और विपणन, बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि का इनपुट व्यवसाय, कृषि अवसंरचना के लिए वेयर हाउस, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण ईकाइयों, राईस मिल आदि हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

