तिसरी पंचायत में 20 गांव हैं, जिनमें तीन गांव बेचिरागी हैं. 17 गांवों में लगभग बारह हजार से ज्यादा की आबादी है, जहां लगभग सात हजार से अधिक मतदाता हैं. इनमें आधे से ज्यादा गांव आदिवासी बहुल हैं, जहां बुनियादी सुविधाओं से लोग वंचित हैं. बुधवार को प्रभात खबर आपके द्वार की टीम तिसरी पंचायत के गांव अबरखा पहुंची. वहां के ग्रामीणों ने समस्याओं के बारे में बताते हुए कहा कि अबरखा गांव तक पहुंचने के लिए उन्हें पगडंडी का सहारा लेना पड़ता है. बताया कि गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. इसके निर्माण को लेकर कई बार प्रयास किया गया और कई जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को भी आवेदन देकर इसकी मांग की गयी, लेकिन कोई पहल नहीं हुई. अबरखा गांव में लगभग 70 से ज्यादा घर हैं. इनकी आबादी लगभग 400 है, लेकिन मांग के बावजूद भी यहां आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है. इस कारण यहां के छोटे बच्चों को दूर के गांव जीनाडीह जाना पड़ता है. वहीं गांव में नलजल योजना के तहत टंकी तो बना दी गयी है, लेकिन दो साल से आज तक लोगों के घरों में एक बूंद पानी नल जल योजना से नहीं मिल पाया है. इसी तरह तिसरी पंचायत के लगभग सभी गांवों में सड़क, पानी आदि की समस्या बरकरार है. तिसरी मुख्यालय में एक भव्य और बड़ा सा भवन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना है, लेकिन यहां वर्षों से महिला चिकित्सक नहीं हैं, जिससे लोगों की परेशानी बनी हुई है. इसके अलावा तिसरीवासियों की प्यास बुझाने के लिए यहां पीएचइडी द्वारा भव्य पानी की टंकी 20 साल से पहले ही बनायी गयी है, लेकिन अभी तक उक्त टंकी से लोगों को पानी नहीं मिल पाया है. तिसरी के आधे हिस्से में सालोंभर लोगों को पीने के पानी के लिए परेशान रहना पड़ता है. तिसरी पंचायत के मुखिया किशोरी साव, समाजसेवी मुकेश कुमार प्रजापति, मनोज पंडित, विनय पंडित, तारा देवी, हेमंती देवी, रानी सिंह, विदेश्वरी गुप्ता आदि ने तिसरी पंचायत के विभिन्न गांवों के कई समस्याओं को उठाया और उसके समाधान के लिए जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगायी.
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