नतीजा है कि बिरनी के लोगों को अपनी नदी होने के बावजूद एक सौ सीएफटी बालू खरीदने में 12 सौ से लेकर 15 सौ रुपये तक देना पड़ रहा है. इसका मुख्य कारण सरकार के द्वारा नीति का निर्धारण नहीं किया जाना है. बालू तस्कर प्रशासनिक अधिकारियों का भय दिखाकर मोटी रकम वसूल रहे हैं. ज्ञात हो कि बिरनी प्रखंड में इरगा व बराकर मुख्य नदी हैं. साथ ही कई छोटी बड़ी नदियां गुजरी हैं, जिस कारण यहां के बालू की मांग जिले व राज्य के साथ साथ महानगरों तक की जाती है. यही वजह है कि बिरनी की अलग अलग नदियों से प्रत्येक दिन 25 से 30 हजार सीएफटी बालू की चोरी कर बालू तस्कर प्रखंड के बाहर व दूसरे जिले में ले जाकर मोटी रकम की वसूली कर मालामाल हो रहे हैं, तो वहीं गरीब, किसान व मजदूर को बालू नहीं मिल पा रहा है.
नहीं हुआ है किसी नदी से बालू के उठाव का आदेश
बताया जाता है कि सरकार के द्वारा मुखिया से आदेश लेकर लिए एक सौ रुपये जमा कर एक सौ सीएफटी बालू का उठाव करने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन बिरनी में अभी तक इस तरह का कोई भी आदेश मुखिया को नहीं दिया गया है.क्या कहते हैं सीओ
सीओ संदीप मधेशिया ने कहा कि बिरनी में एक जगह का चयन किया गया था, लेकिन उसका खाता व प्लाट नंबर गलत रहने के कारण आदेश नहीं मिल पाया है. इसमें पुनः सुधार कर रिपोर्ट जिले को भेजी गयी है. आदेश मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. फिलहाल जिस प्रखंड में आदेश प्राप्त है, लोग वहां से बालू खरीदकर उसका उपयोग कर सकते हैं. बिरनी में बालू उठाव पर प्रतिबंध है, इसलिए समय समय पर छापेमारी कर कार्यवाई की जा रही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

