वर्षो से यहां के लोग संकरे रास्ते से आना जाना करते हैं. उक्त रास्ते के दोनों ओर खेत होने से और गार्डवाल नहीं होने से बराबर दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. गांववालों का कहना है कि गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाता है. ऐसे में यदि कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाय तो लोगों को और परेशानी होती है. वर्षो से यहां तक पहुंचने के लिए सड़क बनवाने की मांग की जाती रही है, लेकिन आज तक अबरखा तक पहुंचने के लिए मनरेगा से भी सड़क नहीं बनवाई गई है, जो दुर्भाग्य की बात है. लगभग चालीस से ज्यादा घरों और एक हजार से भी ज्यादा जनसंख्या वाले गांव अबरखा में ज्यादातर आदिवासी और कुम्हार जाति के लोग निवास करते हैं. यहां ज्यादातर लोग मजदूरी का काम करते हैं. वहीं कुछ किसान भी हैं. गांव तक सड़क नहीं बनने से यहां के लोग कई अन्य विकास के कार्यों से भी महफूज रहते हैं. अबरखा के ग्रामीण मुकेश प्रजापति, पंकज कुमार, अजय कुमार और जितेंद्र प्रजापति ने कहा कि जब जब कोई चुनाव आता है, तो जनप्रतिनिधियों द्वारा आश्वासन दिया जाता है कि इस बार गांव तक पहुंचने के लिए सड़क बनवा दी जायेगी, लेकिन किसी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है, फलस्वरूप यहां के लोग उक्त परेशानी को झेलने को बाध्य हैं. उन्होंने कहा कि वर्षो से हमलोग पगडंडी से ही आवागमन करने को विवश हैं. हमलोग यह समझ रहे थे कि शायद अब पंचायत का चुनाव होने से गांव को लाभ होगा, लेकिन प्रखंड मुख्यालय से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित हमारे गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बन पायी है. ग्रामीणों ने गांव की उक्त समस्या को देखते हुए प्रशासन से अविलंब सड़क निर्माण करवाने की मांग की है.
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