घेवर के प्रमुख दुकानदार सुधीर चौधरी, शंकर कुमार आदि ने बताया कि यह खास व्यवसाय साल में केवल दो-तीन महीने, नवंबर से लेकर जनवरी तक ही जोर पकड़ता है. इन तीन महीनों में ही इन पारंपरिक मिठाइयों की बिक्री चरम पर होती है. कहा कि खास बात यह है कि गिरिडीह का स्वादिष्ट घेवर अब सिर्फ स्थानीय ग्राहकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्य जिलों में भी निर्यात किया जा रहा है. गिरिडीह का घेवर अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए बाहर भी पहचान बना रहा है. वहीं, ठंड की एक और जरूरी मिठाई तिलकुट की डिमांड भी आसमान छू रही है. दुकानदार ने बताया कि तिलकुट बनाने के लिए गया (बिहार) से विशेष कारीगर बुलाए जाते हैं. गया के कारीगरों के हाथों से बना तिलकुट यहां के लोगों को इतना पसंद आता है कि इसकी बिक्री में जबरदस्त उछाल देखने को मिलता है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि ठंड के मौसम में गरमागरम तिलकुट और क्रिस्पी घेवर खाना गिरिडीह के लोग खास पसंद करते हैं.
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