आम तौर पर होली शब्द सुनते ही जेहन में रंग, गुलाल व मस्ती की बातें आ जाती हैं, लेकिन जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र मधुबन की होली पूर्णरूप से आध्यात्मिक होती है. इसमें रंग व गुलाल की कोई भूमिका नहीं होती है. यही वजह है कि होली के अवसर पर मधुबन में जैन धर्मावलंबियों की भीड़ उमड़ती है. देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पारसनाथ की पवित्र धरा पर पहुंचते हैं. यहां आकर वह आध्यात्मिक रंगों में सराबोर हो जाते हैं. स्थियि यह है कि महीनों पूर्व से ही धर्मशालाओं के अधिकांश कमरे आरक्षित हो चुके हैं.
तैयारी को दिया जा रहा अंतिम रूप
संस्थाओं में भी होली की तैयारी अंतिम चल रही है. इस अवसर पर मधुबन के मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. संस्थाओं में रंग-रोगन, तोरणद्वार व पंडाल का निर्माण पूरा किया जा रहा है. जैन श्वेतांबर सोसाइटी स्थित भोमिया जी मंदिर को बेहतर तरीके से सजाया जा रहा है. बताया जाता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है. इस कार्यक्रम के लिए कोलकाता सहित अन्य राज्यों से से कई भजन मंडलियां यहां पहुंचती हैं. भजन के बाद श्रद्धालु बाबा भोमिया को गुलाल अर्पित कर होली मनाते हैं. इस तरह यहां आध्यात्मिक तरीके से होली मनायी जाती है. जैन श्वेतांबर सोसाइटी, भोमिया जी भवन, श्री दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी, मध्यलोक, गुणायतन समेत अन्य संस्थाओं में कई तरह की धार्मिक होते हैं.भोमिया बाबा का सजता है दरबार
होली पर फूलों से भोमिया बाबा का दरबार सजाया जाता है. आकर्षक डेकोरेशन को देखकर लोग गदगद हो जाते हैं. स्थानीय दुकानदारों को भी होली से काफी उम्मीदें हैं. क्योंकि, यही समय होता है जब अधिक भीड़ होती है और लोग खरीदारी करते हैं. इसलिए मधुबन के विभिन्न दुकानदार अधिक सामान मंगवाकर रखते हैं. अलसुबह से लेकर देर रात तक दुकानदार अपनी अपनी दुकानों को खुला रखते है. बाहर से आने वाले श्रद्धालु मधुबन में खरीदारी कर, यहां की निशानी ले जाना पसंद करते हैं. होली से एक सप्ताह पूर्व ही मधुबन बाजार में चहल-पहल बढ़ जाती है. शाम के समय मधुबन का माहौल खुशनुमा हो जाता है. तीर्थ यात्रियों के कारण बाजार की रौनक बढ़ जाती है.डोली मजदूरों को भी कमाई की रहती है उम्मीद
पर्वत वंदना करने के लिए डोली की व्यवस्था रहती है. सैकड़ों की संख्या में देर रात से ही डोली मजदूर संस्थाओं के आसपास दिखाई देने लगते हैं. वह यात्रियों को पर्वत वंदना व दर्शन करवाते हैं. होली के समय में डोली मजदूरों को अधिक कमाई की उम्मीद रहती है. तीर्थयात्रियों के लिए बाइक की भी व्यवस्था रहती है. सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एसडीओ व एसडीपीओ स्वयं सक्रिय रहते हैं. जगह-जगह पुलिस के जवानों को तैनात किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

