प्रकृति की सुषमा सचमुच मनोहारी है जिसे देखकर मन निश्चित रूप से आह्लादित होता है. यह मानव का एक अलौकिक गुण है, ऐसी ही एक अद्भुत छटा देखने को मिलती है सरिया प्रखंड क्षेत्र की मंदरामो पूर्वी पंचायत अंतर्गत छिली छपरी नामक स्थान. जहां विशालकाय बरगद के एक वृक्ष के एक शाखा से निकली हाथनुमा आकृति दूसरी डाली को थामे हुए है. यह अनोखा दृश्य प्रकृति की सुंदरता का साक्षी बना हुआ है. इसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन पर्यटक यहां आते हैं. खेढुआ नदी तट पर मुक्तिधाम के नजदीक स्थापित इस शिवशक्ति धाम स्थल पर विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां भव्य मंदिरों में स्थापित की गयी है. बताया जाता है कि वर्ष 1925 में यहां लोगों ने शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी. इसके बाद स्थानीय लोगों के सहयोग से कई देवी-देवताओं का भव्य मंदिर बनाकर उनकी प्रतिमा स्थापित की गयी. प्रकृति की यह अनमोल भेंट गुमनामी में खोयी हुई है. पीपल-बरगद के इन वृक्षों की सुरक्षा के लिए मंदिर की देखरेख करने वाली कमेटी के प्रयास से चारों ओर चबूतरे का निर्माण कराया गया है. शिवशक्ति धाम में पर्यटन के विकास की असीम संभावनाएं हैं. खेढुआ नदी के तट के किनारे से इस जगह पर पहुंचने के लिए अभी तक सड़क का निर्माण नहीं हुई है.
मंदिर परिसर में 57 फीट उंचे शिवलिंग आकार का मंदिर लोगों को करता है आकर्षित
16.35 एकड़ क्षेत्र के बीच 57 फीट ऊंचे शिवलिंग आकार का भगवान आशुतोष का मंदिर है. जो अपने आप में अनोखा है, इसके अलावा मां दुर्गा, मां मनसा, हनुमान जी, श्री विष्णु- लक्ष्मी, शीतला माता, राधा कृष्ण मां काली सहित कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं. प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. इस पवित्र स्थल के पश्चिम ओर उत्तर वाहिनी खेढुवा नदी की अविरल जलधारा कोसों दूर से चट्टानों को चीरते हुए सालों भर बहते रहती है. नदी के बीचों-बीच चट्टानें स्थल की शोभा बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाती है. छिली छपरी नामक इस परिसर में चारों ओर पीपल-बरगद के भव्य वृक्ष है. सूर्योदय के समय उड़ते हुए पक्षियों का कलरव सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है. छायादार वृक्षों के नीचे बैठ लोग गर्मी से निजात पाते हैं. यह स्थल पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है जहां सैलानियों के साथ-साथ वन भोज के समय सैकड़ों पिकनिक मनाने आते हैं.
चहारदीवारी का है अभाव
इस परिसर में चहारदीवारी का अभाव है. चहारदीवारी नहीं रहने के कारण यहां पेड़-पौधों की सुरक्षा नहीं हो पाती और ना ही कोई उपवन लग पा रहा है. नदी के तट से लिंक पथ की कमी है. अन्य जरूरी सुविधा उपलब्ध कराने से यह क्षेत्र और भी मनोहारी बन सकता है. धर्मावलंबियों की सुरक्षा सुविधा को देखते हुए सरकार द्वारा यहां लाखों रुपए की लागत से सामुदायिक भवन व विवाह मंडप बनाया गया है. विवाह के लग्न में प्रत्येक वर्ष काफी संख्या में शादी होती है. इसके अतिरिक्त सालों भर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं.
बरगद पर निकली हुई है हाथनुमा आकृति
इस क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि विशाल बरगद पेड़ की एक शाखी से हाथनुमा एक आकृति निकली हुई है जिसमें पांच अंगुलियां है. यह पेड़ की दूसरी शाखा को थामे हुए है. ऐसा प्रतीत होता है कि मानों मनुष्य की तरह पेड़-पौधे भी दूसरी शाखा को मदद कर सकते हैं. श्रद्धालु हाथनुमा आकृति में कलावा बांधते है. सिंदूर का तिलक लगाते हैं. ऐसी मान्यता है कि वहां लगा हुआ सिंदूर ललाट में लगाने से आयु बढ़ती है. वहीं दूर-दूर से आने वाले सैलानी बरगद वृक्ष की पूजा कर सेल्फी लेते है. रील्स बनाने वाले लोगों का शूटिंग भी होते रहता है. इस परिसर क्षेत्र में सालों भर विवाह, यज्ञ, जागरण, मुंडन, वाहन पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान होते रहते है. मंदिरों की देखरेख के लिए ट्रस्ट बनाया गया है. 48 लाख रुपए की लागत से श्रद्धालुओं के लिए एक दूसरा सामुदायिक भवन लगभग बनकर तैयार है. इसका उपयोग श्रद्धालु मंदिर प्रबंधन समिति से मिलकर कर सकते है. शहरी क्षेत्र से लगभग दो किलोमीटर दूरी पर स्थित शिवशक्ति धाम में भोजन व नाश्ता की दुकान नहीं है. दिसंबर तथा जनवरी महीने में वनभोज के लिए दूर-दूर से लोग अपने मित्र मंडली व परिवार के साथ के साथ पहुंचते हैं.हिंदू न्यास बोर्ड के तहत बना है ट्रस्ट
मंदिर की देखरेख, सुरक्षा तथा मार्गदर्शन के लिए हिंदू न्यास बोर्ड के मार्गदर्शन में ट्रस्ट का बनाया गया. इसके अध्यक्ष जागेश्वर मंडल, सचिव रामचंद्र मंडल, कोषाध्यक्ष जगदीश मंडल, संरक्षक सरयू प्रसाद मंडल तथा डेगन मंडल तथा सदस्य पूरन मंडल, अरविंद प्रसाद, भोला लाल मंडल, विजय सिंह, प्रसादी मंडल, सुरेंद्र पंडित, शंकर मंडल आदि शामिल है. धाम के महंत श्याम सुंदर पांडेय तथा बसंती दुर्गा मंदिर के पुजारी सुरेंद्र पांडेय हैं.कैसे पहुंचे शिवशक्ति धाम
शिवशक्ति धाम हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन से पश्चिम व लगभग चार व झंडा चौक सरिया से पश्चिम की ओर तीन किमी दूरी पर सरिया-केसवारी मार्ग के बीच स्थित है. यहां टेंपो, बाइक या चार पहिया वाहन से पहुंच सकते हैं.
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