ग्रहण लगने से लगभग नौ घंटे पहले सूतक काल से ही मंदिरों और घरों में पूजा-पाठ बंद दिये गये. इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहे. बाबा दुखहरन नाथ मंदिर के पुजारी सूरज पांडेय ने बताया कि ग्रहण के दौरान मंदिरों के द्वार बंद रहते हैं और श्रद्धालुओं को घरों में भी सतर्क रहने की सलाह दी जाती है. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान, शुद्धिकरण और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस अवधि में भोजन और नये कार्यों की शुरुआत से परहेज किया जाता है.
सरिया में भी सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे
इधर ग्रहण को लेकर सरिया प्रखंड क्षेत्र के सभी मंदिरों में रविवार की सुबह रोज की तरह विधिवत पूजा पाठ की गयी. जबकि दोपहर में सूतक लगने के साथ ही सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिये गये. राधा कृष्ण (पंजाबी) मंदिर के पुरोहित प्रमोद कुमार पांडेय ने बताया कि यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दृष्टिगोचर रहा. सोमवार की सुबह मंदिर के कपाट खुलेंगे तथा नित्य की तरह पूजा पाठ होगी. सरिया नगर क्षेत्र के आनंद भवन आश्रम, आरपीएफ पंच मंदिर, श्री विष्णु मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, शिव शक्ति धाम, राजदह धाम, सदाशिव धाम सहित सभी छोटे बड़े मंदिरों के कपाट बंद रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

