इस संबंध में बदडीहा के रहने वाले कुम्हार राजेंद्र पंडित का कहना है कि मिट्टी, ईंधन और अन्य सामग्री की बढ़ती कीमतों के कारण मिट्टी के सामानों के निर्माण की लागत बढ़ गयी है, लेकिन उन्हें अपने उत्पादों का सही मूल्य नहीं मिल पाता है. इसके बावजूद दीपावली के त्योहार में उन्हें अच्छी बिक्री की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि दीये की कीमत एक सौ रुपये सैकड़ा है. जबकि एक बड़े दीप की कीमत दो से पांच रुपये तक है. उन्होंने बताया कि मिट्टी की कीमत काफी बढ़ गयी है. प्रत्येक ट्रैक्टर मिट्टी की कीमत दो हजार रुपया है. बारिश के कारण मिट्टी गीली है. हम सूखा मिट्टी लेते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी कलवा देवी दीप बनाने में सहयोग करती है. उम्मीद है इस बार दिवाली में अच्छी आमदनी होगी. दीया के अलावे खिलौना भी बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस व्यवसाय पर कई परिवार निर्भर है. इसलिए लोग मिट्टी से बने दीप का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें.
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