ग्राम सभा में वन विभाग के द्वारा जोत आबाद वाले जमीन पर वन विभाग के द्वारा ट्रेंच काटे जाने का विरोध किया गया. ग्रामीणों का कहना था कि वन अधिकार कानून को समय समय पर संशोधित किया गया था. नियम 2012 के तहत 16 नवंबर 2023 को ग्राम सभा की बैठक हुई थी. उसके तहत जमीनों पर सामुदायिक दावा की गई थी. उक्त बैठक में अंचल निरीक्षक कर्मचारी आदि के अलावा वन विभाग पदाधिकारी भी उपस्थित हुए थे. वर्तमान में वन विभाग के द्वारा बगैर ग्राम सभा के सहमति लिए बिना अनुसूचित जनजाति के लोगों के खेती वाले जमीन पर ट्रेंच खुदवाया जा रहा है. जो वन अधिकार कानून 2006 की धारा 4(5) का उल्लंघन है.
स्थानीय ग्रामीणों ने रखी अपनी बात
इस संबंध में ग्राम सभा में स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी बात रखी व आग्रह किया कि पिछले कई पीढ़ियों से अनुसूचित जनजाति के लोग इन क्षेत्रों में रहते हुए खेती बाड़ी कर रहे हैं. यहां से लोगों को बेदखल करना सरासर अन्याय है. पूर्व विधायक निजामुद्दीन अंसारी ने कहा कि आजादी के बाद जो सर्वे हुआ था. उस समय जंगल में रह रहे लोगों को चिन्हित नहीं किया गया था. पूरे क्षेत्र को वन प्रक्षेत्र घोषित कर दिया गया था. सरकार के द्वारा वन प्रक्षेत्र में वर्षों से रह रहे आदिवासियों के लिए पट्टा देने का प्रावधान है. पूर्व में दिशुम गुरु शिबू सोरेन ने इसपर आंदोलन भी किया था. वर्तमान में इस क्षेत्र में रह रहे आदिवासियों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है जिससे पट्टा देने में परेशानी हो रही है. वे सरकार से इस संबंध में बात करेंगे. भाजपा नेता नुनूलाल मरांडी ने कहा कि वर्तमान सरकार को इस मुद्दे पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए. सरकार को इस क्षेत्र में रह रहे लोगों को पट्टा दिलवाना चाहिए. वन विभाग के लोग उन्हें बेदखल करने का कार्य कर रहे हैं. इसका भाजपा सड़क से सदन तक विरोध करेगी. मौके पर झामुमो प्रखंड अध्यक्ष अजय सिंह, भाजपा मंडल अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद, विधायक प्रतिनिधि मुन्ना सिंह, ग्राम प्रधान बेदा बेसरा, सावना मरांडी, दासो बेसरा, ओमप्रकाश बेसरा, हीरालाल मुर्मू, डेगन हांसदा, कैलू सोरेन, रमेश हांसदा, भादो हांसदा, देवान मरांडी, झामुमो युवा प्रखंड अध्यक्ष शुभम भानु, मो मंसूर, मो नसीम, बबलू साहा, अमित बास्के आदि उपस्थित थे.
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