मुनि श्री समता सागर महाराज की अगुवाई में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुणायतन परिसर से चलकर तीर्थराज सम्मेद शिखर की पावन भूमि की वंदना की. मुनि श्री समता सागर महाराज ने कहा कि जिस स्थान से 20 तीर्थंकर मोक्ष को गये, उस महान पर्वत की वंदना करने का सौभाग्य 42 वर्ष पश्चात मिला. कहा कि यहां अपनी उन पुरानी स्मृतियों में खो गये. बीते पलों को याद करते हुए कहा कि वर्ष 1983 में गुरुवर विद्या सागर जी के साथ यहां पर वंदना करने आया था, तब मैं ब्रह्मचारी था. मुनि श्री ने कहा कि यह वही क्षेत्र है जहां मैने ऐलक दीक्षा ली थी. कुछ माह ही बीते कि यहीं मेरी मुनि दीक्षा संपन्न हुई. अभिषेक, शांतिधारा व प्रवचन का हो रहा आयोजन मुनिसंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विदिशा व गुणायतन के संस्था के वीरेंद्र जैन छावड़ा ने बताया कि गुणायतन परिसर में मुनि श्री समता सागर महाराज, मुनि श्री पवित्र सागर महाराज, मुनि श्री पूज्य सागर महाराज, मुनि श्री अतुल सागर महाराज, ऐलक श्री निश्चय सागर महाराज, ऐलक श्री निजानंद सागर महाराज सहित ज्येष्ठ आर्यिका गुरुमति माताजी एवं आर्यिका दृणमति माताजी फिलहाव विराजमान है. प्रतिदिन प्रातः 7:15 से अभिषेक व शांतिधारा तथा 8:30 से मुनिसंघ व आर्यिका संघ द्वारा प्रवचन दिया जा रहा है. गुणायतन के अध्यक्ष विनोद काला, कार्याध्यक्ष एनसी जैन, महामंत्री अशोक पांडया, सुभाष जैन, एनएल जैन, प्रद्युम्न जैन, शेलेंद्र जैन, सिद्धार्थ जैन, कपूर जैन, निर्मल जैन आदि ने मुनिसंघ-आर्यिका संघ के प्रवचनों तथा समस्त अनुष्ठा में भाग लेने की अपील की.
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