153 वर्षों से हो रही है मां दुर्गा की पूजा
सरिया में आस्था का प्रतीक है ठाकुरबाड़ी मैदान में स्थित मां दुर्गा का भव्य मंदिर. यहां पिछले 153 वर्षों से वैष्णव रीति से चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मां दुर्गा की पूजा की जाती रही है. दशमी को भव्य मेले का आयोजन होता है. इस मंदिर के संबंध में बताया जाता है कि यहां जो भी भक्त पूजा करने आते हैं, माता रानी उनकी सभी मनोकामना पूपी करती है. इसलिए यहां प्रतिदिन सरिया क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु सुबह-शाम पूजा व संध्या आरती करने आते हैं. मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय ने बताया कि श्री लक्ष्मी नारायण राधास्वामी ठाकुरबारी मंदिर में स्थापित मां दुर्गा मंदिर की स्थापना बाबू ठाकुर दयाल राय व बाबू भट्ट राय की उपस्थिति में 1860 ई के लगभग हुई थी. यहां लक्ष्मी-नारायण भगवान व मां दुर्गा का मंदिर बनवाया गया. मूर्ति भी स्थापित की गयी है. वहीं, शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा चैत माह में पूजा की जाती है. संस्थापक सदस्यों की सातवीं पीढ़ी आज मंदिर का देखभाल कर रही है. वर्तमान में श्री लक्ष्मी नारायण राधास्वामी ट्रस्ट के स्थायी अध्यक्ष उपायुक्त तथा कार्यकारी अध्यक्ष कोडरमा के पूर्व सांसद डॉ रवींद्र कुमार राय हैं.संस्थापक सदस्यों ने दान में दी 11 एकड़ जमीन
बताया गया कि संस्थापक सदस्यों ने लक्ष्मी-नारायण मंदिर के नाम से 11 एकड़ जमीन दान में दी थी. इसमें पांच एकड़ जमीन पर ठाकुरबाड़ी व चैती दुर्गापूजा के लिए भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है. मेला तथा विभिन्न कार्यक्रमों के लिए मेला परिसर है. मंदिर में लक्ष्मी-नारायण के अलावा राम दरबार, शिव परिवार, हनुमान जी सहित विभिन्न देवी देवताओं के अलग-अलग मंदिर हैं. वहीं छह एकड़ जमीन में मंदिर की व्यवस्था व प्रतिदिन भोग निवेदन के लिए खेती-बाड़ी की जाती है. बता दें कि पूर्व में चैती दुर्गा पूजा ठाकुरबाड़ी परिसर में एक छोटे से मंदिर में होती थी. मां दुर्गा का मंदिर जर्जर हो गया. इधर, श्रद्धालुओं की भीड़ भी बढ़ने लगी. मंदिर में पूजा पाठ में परेशानी होने लगी. इसे देखते हुए वर्ष 2002 में बगल में मंदिर की जमीन पर भव्य मंदिर बनवाया गया. यहां मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गयी है. भगवती और काली मां की अलग-अलग मूर्तियां है. मंदिर में देवियों के कुल 11 रूपों की स्थापना हुई है. ठाकुरबाड़ी मंदिर की स्थापना के प्रारंभ में महंत रामदास जी महाराज थे. उनके बाद राम लखन दास महंत बने. वर्तमान में उनके वंशज मंदिर की पूजा पाठ संभाले हुए हैं. चैत्र नवरात्र में नौ दिनों तक देवी के अलग-अलग रूपों की विशेष पूजा होती है. अष्टमी को श्रद्धालु उपवास में रहकर महागौरी तथा नवमी में सिद्धिदात्री की पूजा कर जीवन में सुख-शांति, बल, बुद्धि, विद्या ,उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद मांगते हैं. नौ दिनों तक पूजा तथा चंडीपाठ आचार्य मुकेश उपाध्याय करवाते हैं.दशमी को लगता है मेला
मंदिर परिसर के बाहर मैदान में दशमी तिथि को भव्य मेले का आयोजन होता है. मेले में सरिया प्रखंड की केसवारी, परसिया, अमनारी, सरिया, चौधरीडीह, पावापुर, बंदखारो, मंदरामो, नावाडीह, चौधरीडीह, धोवारी, पावापुर, सरकी सहित अन्य पंचायत से हजारों की संख्या में लोग मेला देखने आते हैं. मेले में खिलौने, फल, फूल, मिठाइयां सहित सैकड़ों दुकानें सजतीं हैं. वहीं, रामनवमी में यहां श्रीराम मंडली अखाड़ा समिति चंद्रमारणी सरिया खुर्द, श्री विष्णु मंदिर अखाड़ा समिति, थाना मंदिर अखाड़ा समिति, बड़की सरिया, पोखरियाडीह, खैराबाद अखाड़ा समिति सहित अन्य जगहों के झंडा का मिलन होता है. अखाड़े में लोग गाजे-बाजे के साथ लाठी-डंडा का करतब दिखाते हुए ठाकुरबाड़ी पहुंचते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

