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Giridih News :सावधानी ही साइबर क्राइम से बचाव का उपाय : रवींद्र

Giridih News :साइबर अपराध के खिलाफ प्रभात खबर के जागरूकता अभियान के तहत टीम शुक्रवार को जनार्दन सिंह उच्च विद्यालय चतरो पहुंची. यहां एसएसबी के अधिकारियों ने बच्चों को साइबर क्राइम और इससे बचने के उपाय बताये.

साइबर अपराध के खिलाफ जनादउच्च विद्यालय चतरो पहुंची प्रभात खबर की टीम, बच्चों को किया गया जागरूकजिले के लोग लगातार साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं. अपराधी सरकारी योजना का लाभ दिलाने, बिजली कटने, लॉटरी निकलने समेत अन्य लोभ देकर लोगों को चंगुल में फंसाते और उनका अकाउंट खाली कर देते हैं. ऐसा घटना जिले में लगातार हो रही है. इससे लोगों को बचाने के लिए प्रभात खबर ने साइबर अपराध के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया है. शुक्रवार को यह अभियान जनार्दन सिंह उच्च विद्यालय चतरो में विद्यालय में चला. जागरूकता कार्यक्रम में उपस्थित सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) साइबर एक्सपर्ट रवींद्र यादव ने छात्र-छात्राओं को साइबर अपराध, साइबर फिशिंग, फिशिंग हमले से बचने के उपाय, साइबर मैलवेयर अपराध से बचने की उपाय, साइबर अपराध का इतिहास, साइबर हेल्पलाइन आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी. उन्होंने बताया कि साइबर अपराध की शुरुआत कंप्यूटर नेटवर्क की हैकिंग से हुई. 1960 के दशक में हैकिंग शब्द का इस्तेमाल मशीनों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने के लिए किया गया था, लेकिन अब यह शब्द साइबर अपराध के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. वर्ष 1981 में अमेरिकी टेलीफोन कंपनी की आंतरिक घड़ी को हैक करने के लिए इयान मर्फी को साइबर अपराध के लिए पहला दोषी ठहराया गया था. साइबर अपराध पर नियंत्रण व वित्तीय धोखाधड़ी से बचाव के लिए भारत सरकार की गृह मंत्रालय द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया गया है. शिकायत दर्ज कराने के पोर्टल www. cyber crime gov. in व सभी पुलिस स्टेशन में साइबर क्राइम हेल्प डेस्क बनाया गया है. कहा कि जानकारी ही साइबर क्राइम से बचने का कारगर उपाय है. थोड़ी सी चूक आपको भारी पड़ सकती है. इसलिए अंजान नंबरों व साइट पर अपने अकाउंट से संबंधित जानकारी साझा नहीं करें.

डिजिटल अरेस्ट से बचने की जरूरत : सत्यनारायण बेहेरा

सशस्त्र सीमा बल चतरो कैंप के इंस्पेक्टर सत्यनारायण बेहेरा ने भी साइबर अपराध व डिजिटल अरेस्ट की पर अपनी बातें रखीं. डिजिटल अरेस्ट की जानकारी देते हुए बताया कि यह एक साइबर धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी किसी व्यक्ति को किसी अपराध में शामिल होने की झूठी बात बताकर उसे गिरफ्तार करने बात बता कर राशि की ठगी कर लेता है. साइबर अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी या अन्य अधिकारी बताकर मामला दर्ज होने की बात कहता है और फिर मामले को रफा-दफा करने के लिए पैसा की मांग करते हैं. डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए कभी भी अनजान व्यक्ति को पैसे ना दें. अगर आपको लगता है कि आपको धोखा दिया जा रहा है, तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें. डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने पर पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें. जितनी जल्दी शिकायत दर्ज होगी, उतनी जल्दी कार्रवाई होगी.

लोक लुभावन विज्ञापन से बचें : प्रधानाध्यापक

विद्यालय के प्रधानाध्यापक अजय कुमार राय ने कहा कि मोबाइल पर लोक लुभावन व लालच भरे विज्ञापन की अनदेखी कर साइबर अपराध से बचा जा सकता है. वर्तमान समय में राशि क्रेडिट करने के लिए लिंक शेयर कर बैंक पासबुक, आधार नंबर, पैन कार्ड की जानकारी मांगे जाने पर सावधानी बरतें. बैंक या कोई सरकारी संस्था कोई निजी जानकारी नहीं मांगती है. वहीं, साइबर ठगी का शिकार होने पर समय पर शिकायत दर्ज करने पर अपराधी की खाता को फ्रिज करने व राशि निकासी के प्रयास में गिरफ्तार करने में सहूलियत होती है. कार्यक्रम में सब इंस्पेक्टर दिनेश सिंह, एएसआई सुजीत कुमार सिंह, कांस्टेबल धर्मेंद्र कुमार, विद्यालय के शिक्षक शैलेश मिश्र, शैलेंद्र भोक्ता, संदीप कुमार राय, गोविंद साव, लिपिक वीरेंद्र कुमार सिंह ने भी बच्चों को साइबर अपराध से बचने की जानकारी दी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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