प्रदर्शनकारियों ने बताया कि देश के अधिकांश सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संस्थानों में पांच दिवसीय कार्य सप्ताह लागू है, जिसमें रिजर्व बैंक, नाबार्ड, बीमा कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज, आईटी कंपनियां जैसे टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां जैसे ओएनजीसी, बीपीसीएल, सरकारी मंत्रालय और न्यायालय शामिल हैं. लेकिन वाणिज्यिक बैंकों में अभी तक पांच दिवसीय सप्ताह लागू नहीं किया गया है. बैंक कर्मचारियों का कहना है कि यह स्थिति उनके स्वास्थ्य और कामकाजी जीवन के संतुलन के लिए अनुचित है. उन्होंने यह भी बताया कि इंडियन बैंक एसोसिएशन और यूएफबीयू के बीच पांच दिवसीय सप्ताह लागू करने को लेकर कई बैठकें हुई हैं, लेकिन पिछले 20 महीनों में लगभग 10-11 मुद्दों पर बातचीत के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकला. इंडियन बैंक एसोसिएशन बार-बार कह रहा है कि यह मामला केंद्र सरकार के पास लंबित है. प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप कर उनकी न्यायसंगत मांगों को लागू करने की अपील की. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़े आंदोलन और हड़ताल के लिए मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होगी. प्रदर्शन में पवन कुमार बरनवाल, दिलीप कुमार, दीपक कुमार, अभिषेक कुमार, देवराज आनंद, अजय कुमार, अंजली कुमारी, मेघा, कुंदन कुमार, सीताराम, विनीत विशाल, संध्या सिंह, शिवलाल मुर्मू, भारती हंसदा, आशीष कुमार, अर्जुन राम, वसीम अकरम अंसारी और ऋषि विवेक सहित अन्य बैंक कर्मचारी शामिल थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

