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एक डॉक्टर के भरोसे हैं भंडरिया प्रखंड के 76 गांव के लोग

भंडरिया प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हैं .

हाल -गढ़वा के भंडरिया प्रखंड का

फोटो :-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन

संतोष वर्मा, भंडरिया (गढ़वा)

भंडरिया (गढ़वा).

भंडरिया प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हैं . सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों के 10 पद सृजित हैं ,लेकिन इसके विरुद्ध मात्र एक चिकित्सक कार्यरत हैं .समझा जा सकता हैं, इस प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल हैं. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी हैं आखिर इस स्थिति में सबकों स्वास्थ्य सुविधा का अधिकार उपलब्ध कराने का सरकार का संकल्प कैसे पूरा होगा. यह स्थिति उस प्रखंड की हैं जो आदिवासी बाहुल्य प्रखंड हैं. इसके बाद इस समस्या के निराकरण की दिशा में शासन प्रशासन की ओर से अपेक्षित पहल नहीं की गयी है.

छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा हैं भंडरिया प्रखंड

.गढ़वा जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ सीमा से सटा भंडरिया प्रखंड. इस प्रखंड की परिधि में लगभग 76 गांव आते हैं आबादी एक लाख के करीब हैं . इन गांवों में रहने वाली बड़ी आबादी आज भी केवल एकमात्र चिकित्सक के सहारे हैं .लोगों की मानें तो कभी स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में यह इलाका काफी समृद्ध हुआ करता था.तब भंडरिया अपने नौलखा अस्पताल के लिए चर्चित हुआ करता था. प्रखंड के जो आसपास के इलाके रमकंडा, बड़गड छत्तीसगढ़(तब मध्य प्रदेश ) से भी लोग यहां इलाज के लिए आते थे. लेकिन अब स्थिति यह हैं कि यहीं के लोगों को अब इलाज के लिए बाहर जाना पड़ रहा है.

96 सहिया और 10 एएनएम के कंधे पर हैं जिम्मेदारी

कभी भंडरिया के अस्पताल को रेफरल अस्पताल का दर्जा था, अब स्वास्थ्य विभाग ने इसे प्रमोट कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना दिया. पहले यहां कम से कम करीब आधा दर्जन चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति रहती थी. लेकिन अब सिर्फ एक चिकित्सक डॉ संजय कुमार की पदस्थापना की गयी है. जो प्रभारी चिकित्सा प्रभारी के पद पर कार्यरत हैं .जबकि यहां 10 चिकित्सकों का पद स्वीकृत है. जानकारी के अनुसार इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन 76 गांवों तक सरकार के स्वास्थ्य सुविधा का लाभ आम जनों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी 96 सहिया, 10 एएनएम के कंधे पर हैं . इसके साथ ही 8 आयुष्मान आरोग्य मंदिर(उप स्वास्थ्य केंद्र) के जरिये स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का काम हो रहा है. हालांकि घटना दुर्घटना और छोटी बिमारियों में पहुंचे मरीजों का प्राथमिक उपचार अस्पताल से होता है. लेकिन चिकित्सक के अभाव में अधिकांश मरीजों को रेफर करना पड़ता है.

1952 में बना प्रखंड, लेकिन अब तक नहीं मिली सुविधा

भंडरिया प्रखंड की स्थापना आजादी 1952 में हुई थी. तब यह पलामू का हिस्सा हुआ करता था.एक अप्रैल 1991 कों गढ़वा जिला बनने के बाद इस इलाके को गढ़वा जिला में शामिल किया गया. लोगों का चिकित्सकों कमी दूर हों इसके लिए प्रयास हुआ पर अपेक्षित परिणाम नहीं निकाला .सिर्फ आश्वासन हीं मिला

राज्य सरकार की विफलता है : विधायक

विधायक आलोक चौरसिया ने कहा है कि यह पूरी तरह राज्य सरकार की विफलता हैं .भंडरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक की पदस्थापना हों इसके लिए कई दफा सरकार को कहा ,लेकिन लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले यह राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल नहीं हैं ,इसलिए यह स्थिति बनी हैं

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